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प्रशासन ने सानंद को जबरन एम्स में भर्ती कराया

जल त्यागने के अगले ही दिन बुधवार दोपहर को प्रशासन ने प्रो. जीडी अग्रवाल उर्फ ज्ञानस्वरूप सानंद को जबरन उठाकर ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती करवा...

प्रशासन ने सानंद को जबरन एम्स में भर्ती कराया
हिन्दुस्तान टीम,हरिद्वारWed, 10 Oct 2018 11:26 PM
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जल त्यागने के अगले ही दिन बुधवार दोपहर को प्रशासन ने प्रो. जीडी अग्रवाल उर्फ ज्ञानस्वरूप सानंद को जबरन उठाकर ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती करवा दिया। मातृसदन के ब्रह्मचारियों ने प्रशासन पर धारा 144 के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कार्रवाई का विरोध किया है, लेकिन प्रशासन की टीम ने विरोध दरकिनार कर दिया। मातृसदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की ओर दावा किया गया है कि अस्पताल में भी उनका अनशन जारी है। सानंद गंगा एक्ट लागू करने की मांग को लेकर 22 जून से मातृसदन आश्रम में अनशन कर रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने जल भी त्याग दिया था। इससे पहले हरिद्वार के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को उनसे जल न त्यागने का आग्रह किया था, लेकिन सानंद ने उनका आग्रह ठुकरा दिया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी तीन बार अपने प्रतिनिधि भेजकर सानंद से अनशन समाप्त करने का अनुरोध कर चुके हैं। गडकरी के प्रतिनिधि के तौर केंद्रीय मंत्री जंलसंसाधन उमा भारती ने भी मातृसदन आश्रम में सानंद से मुलाकात कर अनशन समाप्त कराने का प्रयास किया था। गडकरी से फोन पर वार्तालाप के बाद भी सानंद ने गंगा एक्ट लागू होने तक अनशन जारी रखने की बात कही।बुधवार दोपहर एक बजे सिटी मजिस्ट्रेट मनीष सिंह, सीओ कनखल स्वप्न किशोर और थानाध्यक्ष ओमकांत भूषण पुलिस फोर्स सहित मातृसदन आश्रम पहुंचे। ज्ञानस्वरूप सानंद के समर्थन में लोग विरोध प्रदर्शन न करें इसके लिए पहले ही क्षेत्र में धारा 144 लगा दी गई थी। प्रशासन ने मातृ सदन के ब्रह्मचारियों को गिरते स्वास्थ्य का हवाला देते सानंद को अस्पताल में भर्ती कराने की बात कही। आश्रम के ब्रह्मचारियों प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया। ब्रह्चारी दयानंद ने कहा कि प्रशासन धारा 144 का दुरुपयोग कर रहा है। उन्होंने कोर्ट के आदेश की आवमानना की बात कहते हुए हाईकोर्ट में अपील करने की बात भी कही। इसके बावजूद पुलिस ने जबरन सानंद को गाड़ी में बिठा लिया। हाईकोर्ट से पूर्व में मिले निर्देशानुसार प्रशासन ने सानंद को ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती करा दिया। सिटी मजिस्ट्रेट मनीष सिंह ने बताया कि सांनद के जीवन की रक्षा के लिए कार्रवाई की गई। सानंद ने जल, शहद और नमक त्याग दिया था। इस कारण उनके जीवन को खतरा पैदा हो सकता था।इनसेटप्रशासन पहले भी सानंद को अस्पताल में करा चुका है भर्तीप्रशासन पहले भी सानंद को जबरन उठाकर दून अस्पताल में भर्ती करा चुका है। बीती दस जुलाई को धारा 144 का नोटिस रिसीव कराने के बाद शाम पांच बजे सानंद को उठा लिया गया था। इसके बाद प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ आश्रम ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने प्रशासन को सानंद को ऋषिकेश स्थिति एम्स अस्पताल में भर्ती कराने और शारीरिक जांच कराने के निर्देश दिए थे। एम्स में जांच के बाद सानंद को डिस्चार्ज कर दिया गया था।पीएम के आश्वासन पर अनशन समाप्त करने की कही थी बातजल त्यागने के ऐलान से पूर्व सानंद ने प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन पर अनशन समाप्त करने की बात कही थी। पर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से वार्ता का आश्वासन नहीं मिला। मंत्रियों आश्वासन पर नहीं मानेनितिन गडकरी के प्रतिनिधि दो बार केंद्रीय मंत्री का पत्र लेकर सानंद के पास पहुंचे। केंद्रीय मंत्री ने नमामि गंगे की उपलब्धियां गिनाते हुए सानंद से अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया। पर सानंद नहीं माने। केंद्रीय मंत्री उमा भारती और सानंद के बीच मातृसदन आश्रम में देर रात तक वार्ता चली। उमा भारती ने शीतकालीन सत्र में गंगा एक्ट बिल लाने का आश्वासन भी दिया। नितिन गडकरी ने भी प्रभावी एक्ट लाने की बात कही। पर सानंद मानसून सत्र में ही बिल पेश करने की बात पर अड़े रहे।सानंद को नहीं मना पाए थे मुख्य सचिव11 जुलाई को हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार को 12 घंटे के भीतर ज्ञानस्वरूप सानंद से वार्ता करने के आदेश दिए थे। उत्पल कुमार ने समयसीमा बीतने के बाद सानंद से वार्ता की, पर सानंद बड़ी विद्युत परियोजनाओं को बंद करने, गंगा एवं सहायक नदियों में खनन पर रोक लागने और गंगा एक्ट लागू करने की अपनी मूल मांग पर अड़े रहे। मुख्य सचिव ने कहा यह केंद्र सरकार के स्तर का मामला है, वे केवल उनकी बात को आगे पहुंचा सकते हैं।

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