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कोसी नदी का जल स्तर पांच साल के न्यूनतम स्तर 107 क्यूसेक पर पहुंचा

जलवायु परिवर्तन के कारण कोसी नदी के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। जिससे लोगों की दिक्कतें बढ़ने के साथ ही सिंचाई विभाग और जल निगम के अफसरों की नींद भी उड़ने लगी है। यही हाल रहा तो आने...

कोसी नदी का जल स्तर पांच साल के न्यूनतम स्तर 107 क्यूसेक पर पहुंचा
दीप चन्द्र बेलवाल,रामनगरMon, 23 Apr 2018 01:19 PM
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जलवायु परिवर्तन के कारण कोसी नदी के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। जिससे लोगों की दिक्कतें बढ़ने के साथ ही सिंचाई विभाग और जल निगम के अफसरों की नींद भी उड़ने लगी है। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में रामनगर वासियों को पेयजल संकट से जूझना पड़ सकता है। कोसी नदी के पुराने रिकार्ड पर नजर डालें तो 23 अप्रैल 2013 को नदी का जलस्तर 212 क्यूसेक तथा 2017 में 193 क्यूसेक तक पहुंच गया था। लेकिन रविवार को यह जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर गिरकर 107 क्यूसेक तक पहुंच गया। कार्बेट से लगी कोसी नदी का जल स्तर कम होने से वन्य जीवों के लिए भी परेशानी पैदा हो गई है।

अल्मोड़ा जनपद से निकलने वाली सदानीरा कोसी नदी से रामनगर की जनता का हलक तर होता है। इसी पानी से तराई के लोग अपनी जमीनों को सींचते हैं। लेकिन वर्तमान में कोसी नदी का गिरता जलस्तर चिंता का विषय बना हुआ है। जानकार अफसरों की मानें तो जलवायु परिवर्तन के कारण कोसी नदी के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। समय से बारिश नहीं होना भी इसकी बड़ी वजह है। सिंचाई विभाग के जेई जावेद अहमद ने बताया नदी का जलस्तर गिरना बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा में कोसी बैराज बनने के कारण नदी का जलस्तर कम हो रहा है। बचाखुचा जो नदी आ भी रहा है, वह नदी के सूखने की वजह से पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने बताया कि कोसी में किसी भी नदी का संगम नहीं है। इसलिए बरसात पर ही इस नदी के जलस्तर बढ़ने की उम्मीद रहती है। उन्होंने बताया कि बारिश नहीं हुई तो पेयजल संकट उत्पन्न होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

वर्ष            जलस्तर

2013        212 क्यूसेक

2014       297 क्यूसेक

2015       487 क्यूसेक

2016        150 क्यूसेक

2017        193 क्यूसेक

2018        107 क्यूसेक

कहां से आएगा 350 क्यूसेक पानी

कोसी नदी का जलस्तर 107 क्यूसेक पहुंचने पर अफसरों में माथे पर चिंता की लकीरें हैं। जेई जावेद अहमद ने बताया कि सिंचाई नहरों में 350 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता था। लेकिन जलस्तर गिरने से यह संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि जलस्तर गिरने से सिंचाई नहर में भी पानी नहीं चढ़ पा रहा है।

अल्मोड़ा में बैराज बनने के बाद से ही कोसी नदी के जलस्तर में गिरावट आई है। पहले पानी की कमी होती थी, लेकिन इतनी नहीं। अल्मोड़ा के अफसरों से संपर्क किया जा रहा है कि कोसी नदी में पानी छोड़ा जाए। पानी नहीं आया तो रामनगर में पेयजल व सिंचाई दोनों संकट खड़े हो सकते हैं।

-जावेद अहमद, जेई सिंचाई विभाग रामनगर।

रामनगर में पानी की समस्या उत्पन्न हुई तो विभाग हाथ खड़े कर देगा। शहर और गांव में पानी बांटने के लिए विभाग के पास कोई वाहन नहीं है। पहले जो एक वाहन था वह अब छतिग्रस्त हो गया है। टैंकर की व्यवस्था करने के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।

-जेपी सिंह, जेई जल संस्थान रामनगर।

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