25 साल में राष्ट्रीय खेल में पहली बार ट्राइथलॉन में उतरेगा उत्तराखंड
उत्तराखंड के खिलाड़ी पहली बार राष्ट्रीय खेलों में ट्राइथलॉन में भाग लेंगे। यह आयोजन 26 से 30 जनवरी तक इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर में होगा। खिलाड़ियों के लिए टॉप-3 में आना चुनौतीपूर्ण होगा।...

अंशुल डांगी हल्द्वानी। राज्य बनने के बाद 25 साल में राष्ट्रीय खेल में पहली बार उत्तराखंड के खिलाड़ी ट्राइथलॉन के मैदान में उतरकर अपना दम दिखाएंगे। 38वें राष्ट्रीय खेल का मेजबान होने के कारण उत्तराखंड को यह मौका मिला है। लेकिन तैराकी, साइकिलिंग और दौड़ मिश्रित इस स्पर्धा में उत्तराखंड के खिलाड़ियों के सामने टॉप-3 में आना बड़ी चुनौती रहेगा।
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर में 26 जनवरी से 30 जनवरी तक ट्राइथलॉन का आयोजन होना है। वर्तमान में सर्विसेज, तमिलनाडु, तेलंगाना जैसी टीमें इस खेल में टॉप पर हैं। वहीं पहली बार इस स्पर्धा में उतर रहे मेजबान उत्तराखंड के लिए भी यह एक बड़ा अवसर है। ट्राइथलॉन में तैराकी, साइकिलिंग और दौड़ तीनों खेलों में पारंगत होना जरूरी है। राज्य की टीम का 25 दिसंबर से गौलापार में कैंप भी शुरू हो चुका है। मगर कैंप में कुछ खिलाड़ी एथलेटिक्स के हैं, तो कुछ तैराकी और कुछ साइकिलिंग के। अधिकतर खिलाड़ी दो खेल में खेल सकते हैं, जिससे डुआथलॉन इवेंट में पदक की उम्मीद है। मगर ट्राइथलॉन के लिए खिलाड़ी तैयार करना कोच सुमित सिंह के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। दरअसल राष्ट्रीय खेल में इंडियन ट्राइथलॉन फेडरेशन(आईटीएफ) की रैंकिंग के अनुसार खिलाड़ी शामिल होते हैं। वहीं सुमित सिंह का कहना है कि कैंप में शामिल खिलाड़ियों में बहुत क्षमता है। फिटनेस अच्छी है, बस अब उनको खेल के रूप में ढालकर तैयार करना है। बता दें कि उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने 2019 में अंतिम बार रायपुर में हुई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया था।
आयरनमैन में प्रतिभाग कर चुके हैं सुमित
कोच सुमित बीते 10 साल से ट्राइथलॉन की कोचिंग दे रहे हैं। वह मलेशिया में ट्राइथलॉन, कलमार(यूरोप) और फिलिपींस में आयरनमैन में शामिल हो चुके हैं। बताया कि आयरनमैन इवेंट में 3.800 किमी तैराकी के बाद 180 किमी साइकिलिंग और 42 किमी की मैराथन होती है। जिसे पूरा करने में उन्होंने 13.28 घंटे का समय लगाया था।
राष्ट्रीय खेल में आईटीएफ रैंकिंग के आधार पर खिलाड़ी जाते हैं। उत्तराखंड के खिलाड़ियों के पास घरेलू माहौल में पदक जीतने का एक अच्छा अवसर है। खिलाड़ियों की फिटनेस बहुत अच्छी है और टीम से बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है।
-पारुल डागर, सचिव, उत्तराखंड ट्राइथलॉन एसोसिएशन
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