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नौकरी मांगते-मांगते गुरिल्लों के बीत गए तीन हजार दिन

एसएसबी में नौकरी, सुखद भविष्य और पेंशन मिलने की उम्मीद में अल्मोड़ा में एसएसबी के गुरिल्लों की ओर से शुरू किए गए आंदोलन को शनिवार को तीन हजार दिन पूरे हो गए हैं। अल्मोड़ा में 26 अक्तूबर 2009 से...

नौकरी मांगते-मांगते गुरिल्लों के बीत गए तीन हजार दिन
प्रमोद जोशी,अल्मोड़ाSat, 20 Jan 2018 07:17 PM
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एसएसबी में नौकरी, सुखद भविष्य और पेंशन मिलने की उम्मीद में अल्मोड़ा में एसएसबी के गुरिल्लों की ओर से शुरू किए गए आंदोलन को शनिवार को तीन हजार दिन पूरे हो गए हैं। अल्मोड़ा में 26 अक्तूबर 2009 से नौकरी, पेंशन और एकमुश्त धनराशि दिए जाने की मांग को लेकर कलक्ट्रेट में शुरू किए गए अनिश्चतकालीन धरने के दौरान अच्छे दिनों के सपने देखते हुए 150 गुरिल्लों की मौत हो गई है। हालांकि आंदोलन को 12 वर्ष से भी अधिक का समय बीत जाने के बावजूद गुरिल्लों ने यह आंदोलन जारी रखा है।

एसएसबी के माध्यम से प्रशिक्षित गुरिल्लों को वर्ष 2002 में एसएसबी ने प्रशिक्षण देना बंद कर दिया। इससे पूर्व एसएसबी स्थानीय युवाओं को अपने स्तर से सैन्य दक्षता का प्रशिक्षण देती थी। प्रशिक्षण के दौरान स्वयं सेवकों को वर्दी, बूट, तय मजदूरी तो मिलती ही थी। एसएसबी में सीधी भर्ती के लिए इन्हीं प्रशिक्षित स्वयं सेवकों का चयन किया जाता था। वर्ष 2002 में यह प्रक्रिया पूरी तरह बंद कर दी गई। प्रक्रिया बंद हो जाने से हजारों स्वयं सेवक प्रभावित हुए अल्मोड़ा में ही इनकी संख्या हजार से अधिक थी। अपने हक के लिए आवाज उठाते हुए गुरिल्लों ने एसएसबी में नौकरी, उम्रदराज स्वयं सेवकों को एकमुश्त राशि और पेंशन की मांग उठाते हुए आंदोलन शुरू कर दिया। जिसे 26 अक्तूबर 2009 से अनिश्चतकालीन कर दिया गया।

मणिपुर के गुरिल्लों से मिली आंदोलन की प्रेरणाः

2004 में मणिपुर के भर्ती होने योग्य स्वयं सेवकों को एसएसबी में भर्ती किए जाने के बाद अल्मोड़ा में भी गुरिल्लों ने ज्ञापनों के माध्यम से सरकार से अनुरोध करना शुरू कर दिया। 26 अक्तूबर 2009 से अल्मोड़ा जिलाधिकारी कार्यालय में अनिश्चतकालीन धरना शुरू कर दिया जो वर्तमान में भी जारी है।

60 की उम्र में भी सरकारी नौकरी की उम्मीदः

एसएसबी स्वयं सेवक कल्याण समिति के इस आंदोलन में अल्मोड़ा से करीब 100 स्वयं सेवक हैं। जिसमें 70 प्रतिशत स्वयं सेवक 60 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। ऐसे सभी स्वयं सेवकों को आज भी उम्मीद है कि जो आंदोलन उन्होंने शुरू किया था वह एक दिन जरूर कामयाब होगा। वह अपना हक हासिल करेंगे। हालांकि इतने लंबे आंदोलन के बाद गुरिल्ले लोनिवि में बेलदार और मेट पद पर तैनाती का शासनादेश हासिल करने में कामयाब जरूर हुए हैं, लेकिन यह शासनादेश सही तरीके से लागू नहीं हो पाया है।

आंदोलन के दौरान हाल में दिवंगत हुए गुरिल्लेः

आनंदी जोशी, पूरन जलाल, हरीश चंद्र, लछम सिंह, चंदन सिंह, दीवान सिंह, भवान सिंह, मदन राम, नाथू राम, हरीश राम, चनी राम, नंदन सिंह, पनुली देवी, आन सिंह,बहादुर राम, गौर राम, वासुदेव बडोला ।

आंदोलित गुरिल्लों के नेता बोलेः

एसएसबी स्वयं सेवक कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने बताया कि अल्मोड़ा में गुरिल्लों की संख्या एक हजार के करीब थी। आंदोलन के दौरान करीब 150 गुरिल्लों की मौत हो चुकी है। संघर्ष जारी है, हमे उम्मीद है कि एक दिन हमें हमारा हक जरूर मिलेगा।

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