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देवस्थानम एक्ट से हिन्दू धर्म की भावनाएं आहत नहीं होती

हाईकोर्ट में गुरुवार को भी भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी द्वारा उत्तराखंड सरकार के चारधाम देवस्थानम एक्ट को निरस्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई में रूलक संस्था के...

देवस्थानम एक्ट से हिन्दू धर्म की भावनाएं आहत नहीं होती
हिन्दुस्तान टीम,हल्द्वानीThu, 02 Jul 2020 06:37 PM
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हाईकोर्ट में गुरुवार को भी भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी द्वारा उत्तराखंड सरकार के चारधाम देवस्थानम एक्ट को निरस्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई में रूलक संस्था के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए खंडपीठ को एक्ट को उचित ठहराते हुए दलीले दीं। कहा कि सेक्युलर मैनेजमेंट और रिलीजियस मैनेजमेंट (धर्मनिरपेक्ष प्रबंधन और धार्मिक प्रबंधन) को 1899 में ही अलग-अलग कर दिया गया था। इसमें सेक्युलर मैनेजमेंट आफ टेम्पल का अधिकार राज्य को दिया गया है, जबकि रिलीजियस मैनेजमेंट मंदिर पुरोहित को दिया गया है। जो नया एक्ट राज्य सरकार द्वारा लाया गया है, इसमें कही भी हिन्दू धर्म की भावनाएं आहत नहीं होती हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। मामले में सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी।

देहरादून की रूलक संस्था ने सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की दायर जनहित याचिका निरस्त करने को प्रार्थना पत्र दिया है। इसमें कहा है कि प्रदेश सरकार की ओर से चारधाम के प्रबंधन के लिए लाया गया देवस्थानम बोर्ड अधिनियम संवैधानिक है। इसके जरिए सरकार द्वारा चारधाम और 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन लेना संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन नहीं है। चार धाम यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने बोर्ड अधिनियम बनाकर मंदिरों का प्रबंधन लिया है। इससे कहीं भी हिंदू धर्म की भावनाएं आहत नहीं हो रही हैं। संस्था का कहना है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका निराधार है, इसलिए इसे निरस्त किया जाए।

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