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हिमालय की चोटियों में लगातार घट रही बर्फबारी

अक्टूबर माह में बर्फ से ढ़की रहने वाली कुमाऊं हिमालय की चोटियों में इस बार बेहद कर्म बर्फ पड़ी है। कम बर्फबारी के कारण जनवरी माह में भी पंचाचूली, नंदा देवी में ग्रेनाइट और नाइस नजर आ रहा है। मौसम...

हिमालय की चोटियों में लगातार घट रही बर्फबारी
मुकुल चौहान,हल्द्वानीTue, 16 Jan 2018 06:17 PM
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अक्टूबर माह में बर्फ से ढ़की रहने वाली कुमाऊं हिमालय की चोटियों में इस बार बेहद कर्म बर्फ पड़ी है। कम बर्फबारी के कारण जनवरी माह में भी पंचाचूली, नंदा देवी में ग्रेनाइट और नाइस नजर आ रहा है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आम तौर पर 3000 मीटर ऊंचाई तक की चोटियों में अक्टूबर से दिसंबर तक जमकर बर्फबारी हो जाती है। लेकिन इस बार तापमान ज्यादा रहने से बर्फबारी कम हुई। वहीं उच्च हिमालयी चोटियों में जितनी बर्फ पड़ी है, वह भी पिछले साल के मुकाबले तापमान ज्यादा रहने से पिघल रही है। वहीं मिलम, नामिक, पोटिंग, सुंदरढुंगा ग्लेशियर में भी अभी तक पर्याप्त बर्फबारी नहीं हुई है।

नैनीताल कुमाऊं यूनिवर्सिटी में जियोलॉजी के प्रोफेसर चारू चंद्र पंत ने बताया कि आमतौर पर पंचाचूली, नंदा घुंघटी, नंदा कोट, नंदा देवी की चोटियां दिसंबर तक बर्फ से पूरी तरह ढ़क जाती थी। लेकिन इस बार पंचाचूली के नीचले हिस्से में ग्रेनाइट नजर आ रहा है इसके पीछे मौसम में बदलाव अहम कारण है। भूमध्य सागर से जो बादल बनकर आते हैं, उनके पैटर्न में बदलाव के कारण बारिश नहीं हुई। जिस कारण उच्च हिमालयी चोटियों में हिमपात भी बेहद कम हुआ।

गर्मी में बढ़ सकता है पानी का संकट:

अक्सर गर्मियों के मौसम में पहाड़ों में पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। यह समस्या लगातार बढ़ रही है। पिछले कुछ सालों से शीतकाल में समय पर बर्फबारी नहीं होने से नदियों और जमीन के अंदर पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पा रहा है। खासकर कुमाऊं की तीन प्रमुख नदियों काली, गौरी और रामगंगा में अक्टूबर और नवंबर में भरपूर पानी रिचार्ज नहीं हो पा रहा है।

निदेशक मौसम विज्ञान केन्द्र बोले:

निदेशक मौसम विज्ञान केन्द्र देहरादून डॉ. विक्रम सिंह ने कहा कि पिछले तीन- चार सालों से नवंबर और दिसम्बर में बर्फबारी लगातार कम हो रही है। पिछले साल अक्टूबर से फरवरी तक सामान्य से 76 प्रतिशत तक कम बारिश हुई, जिस कारण बर्फबारी भी कम हुई। 2017 में भी अक्टूबर से दिसंबर तक उच्च हिमालयी चोटियों में बहुत कम बर्फ गिरी, जो ग्लोबल वार्मिंग और अन्य मौसमी कारकों का असर है। देखने में यह आ रहा है कि मानसूनी बारिश जरूरत से ज्यादा हो रही और शीतकाल में होने वाली बारिश की मात्रा में कमी आ रही है।

हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी का रिकार्ड:

2014 दिसंबर में 24 इंच, जनवरी में 21 इंच,

2015 दिसंबर में नहीं ,जनवरी में चार इंच

2016 दिसंबर में नहीं, जनवरी में 1.5 इंच

2017 दिसंबर में नहीं जनवरी में 2.5 इंच

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