हिमाचल से ज्यादा उत्तराखंड में रोजी-रोटी को मजदूरी की मजबूरी
उत्तराखंड में मजदूरी करने वालों की संख्या बढ़ रही है। श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, यहां 30.5 लाख लोग मजदूरी कर रहे हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश में यह संख्या 19.8 लाख है। रोजगार के अवसर सीमित होने के...
हिमाचल में 20, उत्तराखंड में तीस लाख लोगों का रोजगार मजदूरी देवेंद्र रौतेला
हल्द्वानी। उत्तराखंड में रोजी-रोटी के लिए मजदूरी करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसकी पुष्टि श्रम विभाग के ई-श्रम पोर्टल पर दर्ज आंकड़े करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश से अधिक लोग उत्तराखंड में मजदूरी कर परिवारों का भरण-पोषण कर रहे हैं। हिमाचल में 19.8 लाख लोग मजदूरी कर रहे हैं, वहीं उत्तराखंड में यह संख्या 30.5 लाख से अधिक है।
उत्तराखंड में रोजगार के अवसर सीमित होने के कारण लोग मजदूरी करने को मजबूर हैं। हिमाचल जैसी खेती बागवानी भी अभी हमारे यहां नहीं है। इस स्थिति में, पंजीकृत श्रमिकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में श्रमिकों की संख्या 30,56,926 तक पहुंच चुकी है। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में यह संख्या 19,83,245 है। हिमाचल की तुलना में उत्तराखंड में दस लाख ज्यादा श्रमिक मौजूद हैं, जिससे प्रदेश में स्थायी रोजगार की स्थिति का आकलन किया जा सकता है।
खेती के बाद दर्जी है रोजगार का मुख्य साधन
उत्तराखंड में हर दिन मजदूरी मिलना मुश्किल है। प्रदेश में सबसे अधिक 1,63,306 लोग खेती से जुड़े कार्यों में काम कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। इसके बाद रोजगार का सबसे बड़ा साधन दर्जी का काम है। राज्य में 2,90,365 श्रमिक दर्जी का काम कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड टॉप-थ्री में
12 हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड श्रमिकों की संख्या में टॉप-थ्री में है। असम में सर्वाधिक 75,82,363 लोग मजदूरी करते हैं। इसके बाद 35,48,633 श्रमिकों के साथ जम्मू-कश्मीर दूसरे और 30,56,525 श्रमिकों के साथ उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है।
तीन लाख संगठित क्षेत्र में भी श्रमिक
असंगठित क्षेत्र के साथ-साथ राज्य के संगठित क्षेत्र में भी लाखों श्रमिक कार्यरत हैं। श्रम विभाग के अनुसार, राज्य के सिडकुल और अन्य पंजीकृत संस्थानों में तीन लाख श्रमिक कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद रोजगार की कमी के चलते पलायन जारी है।
कोट:
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कराया जाता है। राज्य में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इन्हें लाभ दिया जा रहा है।
– कमल जोशी, उप श्रमायुक्त, श्रम निदेशालय
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