धारी और रामगढ़ में कुमाऊंनी खड़ी होली की धूम, गांव-गांव में गूंज रहा होल्यारों का ढोल
मुक्तेश्वर के धारी और रामगढ़ क्षेत्र में होली का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। ग्रामीणों ने रात भर ढोल की थाप पर होली गीत गाए और पारंपरिक पकवानों का आनंद लिया। होल्यार गांव-गांव जाकर होली के गीत गा...
मुक्तेश्वर। धारी और रामगढ़ क्षेत्र में होली के पर्व की धूम मची हुई है, और हर कोई इस पर्व में मस्ती में सराबोर है। ग्रामीण क्षेत्रों में देर रात तक ढोल की थाप और सुरताल के साथ होली गायन किया जा रहा है। होल्यार गांव-गांव जाकर घर-घर बड़ी ढोली बनाकर होली के गीत गा रहे हैं। वहीं, होल्यारों को पहाड़ी घरों में पारंपरिक पकवानों जैसे सूजी और आलू के गुटके, बुरांश का जूस, गुड़-चना आदि परोसे जा रहे हैं। इस दौरान धारी और रामगढ़ क्षेत्र के गांवों में एक से बढ़कर एक होली गीत गाए जा रहे हैं, जिनमें "हरशिव के मन माही बसे काशी", "शिव जी चले गोकुल नगरी", "जल कैसे भरु यमुना गहरी" जैसे प्रसिद्ध होली गीत शामिल हैं। धारी क्षेत्र के सुंदरखाल, धानाचूली, सुन्दरखाल, परबड़़ा, सुनकिया, सूपी सतबुंगा, नथुवाखान, पहाड़पानी आदि स्थानों पर ग्रामीणों ने होली गायन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। खासकर सुंदरखाल में होल्यारों की ढोली में भवान सिंह बिष्ट, नारायण बिष्ट, गोपाल बिष्ट, डुंगर सिंह, चन्दन सिंह, सोबन बिष्ट, कमल बिष्ट जैसे लोग शामिल थे। कुमाऊंनी खड़ी होली का यह पर्व पारंपरिक उल्लास और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखे हुए है, और ग्रामीणों के बीच आपसी सौहार्द का संदेश भी देता है।
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