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बागेश्वर के फौजी ने सेना से छिपाया आईएसआई का आईफोन

आईएसआई एजेंटों से दिल्ली में मिले आईफोन को फौजी कंचन सिंह ने सेना से भी छिपाकर रखा। फौजी को लिखित में बताना होता है कि उसके पास कौन सा फोन है और उसमें किस-किस नंबर के सिम वह इस्तेमाल कर रहा है। बताना...

बागेश्वर के फौजी ने सेना से छिपाया आईएसआई का आईफोन
हिन्दुस्तान टीम,मेरठ बागेश्वर। Sat, 20 Oct 2018 12:06 PM
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आईएसआई एजेंटों से दिल्ली में मिले आईफोन को फौजी कंचन सिंह ने सेना से भी छिपाकर रखा। फौजी को लिखित में बताना होता है कि उसके पास कौन सा फोन है और उसमें किस-किस नंबर के सिम वह इस्तेमाल कर रहा है। बताना होता है कि जहां पोस्टिंग है, वहां उसके कौन-कौन नागरिक दोस्त हैं। उसके परिवार और रिश्तेदारी में और कौन फौज में है। कंचन ने फोन और दोस्तों की सूचनाएं सेना से छुपाईं। 
सेना में तैनात हर फौजी को करीब 35 बिंदुओं पर अपनी सूचनाएं यूनिट के अफसरों को लिखित में देनी होती हैं। नाम, पिता का नाम, उनकी आयु, जन्म तिथि और अपनी आयु बतानी जरूरी है। साथ ही शिक्षा, धर्म, पता, व्यवसाय और विवाह के संबंध में जानकारी देनी होती है। भाई-बहनों की पूरी सूचना और सबके मोबाइल नंबर भी देने होते हैं। इन सूचनाओं में फौजी कंचन सिंह ने आईफोन और उसमें चल रहे सिम की जानकारी सेना को नहीं दी। यानी दोस्ती और भरोसे में ब्रेन वॉश के दौरान आईएसआई ने उसे यह बताया था कि इन सबको सेना से छुपाना है। उसे यह पता था कि अगर आईफोन के बारे में सेना को पता चला तो कोई कार्रवाई हो सकती है। 

18 में भर्ती हुआ सेना में 26 में बन गया जासूस
कंचन सिंह मेर, मेरठ कैंट से आईएसआई के लिए जासूसी में पकड़े गए फौजी का यही पूरा नाम है। वह हल्द्वानी में 2011 में हुई भर्ती में सेना में सेलेक्ट हुआ। एक मार्च 2011 को नौकरी मिली और महज आठ साल बाद उस पर फौज में आईएसआई के जासूस होने का कलंक लग गया। उत्तराखंड के बागेश्वर के बिलौना गांव के रहने वाले कंचन सिंह मेर के पिता चंदन सिंह मेर 72 साल के हैं और खेती करते हैं। वह गांव में आटा चक्की भी चलाते हैं। साल 2011 में इस परिवार के लिए अपार खुशिंया आईं जब बीए प्रथम वर्ष में पढ़ रहा छोटा बेटा कंचन जिसे प्यार से सब कंचू कहते थे, सेना में भर्ती हो गया। धीरे-धीरे आठ साल बीत गए। उसके पिता चंदन बताते हैं कि वह तनख्वाह का अस्सी फीसदी पैसा घर भेज देता था। परिवार में उसकी मां 65 साल की कमला हैं। बड़े भाई जय सिंह मेर अगस्त में ही प्राइमरी स्कूल में शिक्षक बने हैं। 

मोबाइल-लैपटॉप का पासवर्ड आईएसआई के पास
आईएसआई भारत में सेना की जासूसी के लिए मोबाइल और लैपटॉप को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। मेरठ के फौजी कंचन को एप्पल का मोबाइल गिफ्ट करने की बात सामने आ रही है। इसके पहले पकड़े गए आईएसआई एजेंट आसिफ ने भी झांसी में एक सैन्य अफसर को ऐसा ही लैपटॉप गिफ्ट में दिया था। इस तरह के मोबाइल और लैपटॉप में आईएसआई एजेंट फेसबुक, ईमेल आईडी, व्हाट्सएप, ट्वीटर समेत सभी एप डाउनलोड करके दिए जाते हैं। इनके पासवर्ड एजेंट खुद अपने पास रखते हैं। सेना का जवान मेरठ में बैठकर व्हाट्सएप इंक्रिरप्शन के जरिए पाकिस्तानी एजेंटों को सूचनाएं भेज रहा था। व्हाट्सएप एंड टू एंड इंक्रिरप्शन एप के जरिए दुनिया में किसी भी देश के नागरिक को उसके व्हाट्सएप पर किसी भी भाषा में आसानी से मैसेज भेज सकते हैं। इस एप के जरिए भेजे गए मैसेज को दूसरा कोई भी नहीं पढ़ सकता। क्योंकि इंक्रिरप्शन में मैसेज को लॉक किया जाता है।  
 

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