6 कुमाऊं का 80वां स्थापना दिवस मनाया गया
दिवस मनाया -समारोह में 7 रिटायर्ड सैन्य कर्मी सम्मानित -1962 के युद्धबीर बोले स्वतंत्र...

हल्द्वानी। छह कुमाऊं का 80वां स्थापना दिवस सोमवार को कुसुमखेड़ा स्थित एक बैंक्वेट हॉल में आयोजित किया गया। इस दौरान वर्ष 1962 के 3 युद्धवीरों समेत सात पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में भारत-चीन युद्ध के साक्षी रहे रिटायर सैन्य अधिकारियों ने युद्ध के संस्मरण सुनाए।
6 कुमाऊं वालोंग वॉरियर्स गौरव सेनानी संगठन के संयोजन में कुसुमखेड़ा स्थित एक बैंक्वेट हॉल में सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ केक काटकर किया गया। इस दौरान 1962 के युद्धवीर कैप्टन जौहार सिंह, कैप्टन राम सिंह और कैप्टन मन बहादुर पाल के साथ गौरव सेनानी कैप्टन कुंवर सिंह ताकुली, संरक्षक पुष्कर सिंह डसीला, हरीश गिरि व राजेंद्र परगाई को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान युद्ध के साक्षी रहे युद्धवीरों ने युद्ध के संस्मरण सुनाए। इस दौरान उन्होंने संघर्ष की कहानी सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया। इससे पूर्व तीनों युद्धवीरों का पूर्व सैनिकों ने छोलिया नृतकों की टीम के साथ स्वागत किया गया। वालोंग मेमोरियल में 4 दिसंबर 2020 को मूर्ति अनावरण के दिन भाग लेने वाले गौरव सेनानी कैप्टन कुंवर सिंह टाकुली, गौरव सेनानी पुष्कर सिंह डसीला, संरक्षक गौरव सेनानी समिति, गौरव सेनानी हरीश गिरि एवं गौरव सेनानी राजेंद्र कुमार परगाई ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अध्यक्षता करते हुए सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह मेहरा ने पलटन का इतिहास बताया। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत ने कार्यक्रम में पहुंचकर पूर्व सैनिकों को देश का गौरव बताया। उन्होंने आश्वासन दिया कि पूर्व सैनिकों हित से जुड़े कार्यों में उनकी मदद की जाएगी।
इस मौके पर कैप्टन विजय कुमार जोशी, कैप्टन महेश सिंह नेगी, कैप्टन खुशाल सिंह, कैप्टन हयात सिंह सामंत, कैप्टन पुष्कर सिंह सामंत, कैप्टन गोविंद बल्लभ, कैप्टन आनंद बल्ला, कैप्टन बीसी पाठक, गोपाल सिंह रावत, कुंदन सिंह, रविंद्र सिंह बिष्ट, सुरेंद्र सिंह उलसाई, कविंदर सिंह, निर्मल सिंह, देवेंद्र सिंह बोरा, देवेंद्र सिंह भंडारी, नारायण सिंह, हरेंद्र सिंह, नारायण सिंह आदि मौजूद रहे।
बोले पूर्व सैनिक
1962 की लड़ाई हमारे लिए बहुत चौंकाने वाली थी। सीमित संसाधन के बावजूद हमारी जांबाज सेना ने पूरी तत्परता के साथ युद्ध लड़ा। आज भी जब-जब युद्ध की याद आती है हमारा मनोबल और ऊंचा उठ जाता है।
कैप्टन जौहार सिंह, युद्धवीर
चीन के साथ युद्ध की घोषणा होते ही हमारी पलटन ने वालोंग में मोर्चा ले लिया। युद्ध के बीच कई दिनों तक खाने-पीने की परवाह किए बिना दुष्मनों से कड़ी टक्कर ली। दुष्मनों की गोली कई बार अगल-बगल से निकली। युद्ध के बीच हर पल मौत सामने खड़ी थी।
कैप्टन राम सिंह, युद्धवीर
चीन के साथ युद्ध की घोषणा होते ही हम तुरंत मोर्चे पर चले गए। संसाधन कम थे लेकिन युवा जोश होने के कारण हमने दुष्मनों की जरा भी परवाह नहीं की। कई दिनों तक खाने-पीने की परवाह किए बिना मोर्चे पर जमे रहे। इसका नतीजा रहा कि हमें जीत मिली।
कैप्टन मन बहादुर पाल, युद्धवीर
मुझे 4 दिसंबर 2020 को अपनी पलटन 6 कुमाऊं रेजीमेंट के रणक्षेत्र वालोंग (अरुणाचल प्रदेश) में जाकर अपनी पलटन के उन वीर शहीदों को नमन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वहां बने वार मेमोरियल में बनी शहीदों की मूर्ति का अनावरण समारोह में शामिल होना भी हमारे लिए गौरव की बात है।
राजेंद्र कुमार परगाई, गौरव सेनानी
वर्ष 1962 में चाइना के साथ युद्ध के दौरान हमारी सेना ने अत्यंत ही दुर्गम क्षेत्र में अपनी जान की परवाह न करते हुए भारत मां की रक्षा की। हमें अपनी रेजिमेंट पर गर्व है। आज भी वह इलाका काफी दुर्गम इलाकों में गिना जाता है।
हरीश गिरि, गौरव सेनानी
1962 में वालोंग की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए सामान्य हथियारों के साथ लड़ाई करना एक कल्पना के समान था। हम उन वीर शहीदों के अदम्य साहस, पराक्रम और अपनी पलटन को सलाम करते हैं।
पुष्कर सिंह डसीला, गौरव सेनानी
मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे एक ऐसी सेना का हिस्सा बनने का मौका मिला जिसने भारत-चीन युद्ध की लड़ाई लड़ी। ऐसी पलटन और उन शहीदों को नमन जो युद्ध में शहीद हुए। हम गौरवशाली हैं कि 1962 के युद्ध के कई वीर योद्धा हमारे बीच हैं।
कैप्टन कुंवर सिंह ताकुली, गौरव सेनानी
