400 करोड़ के रजिस्ट्री घपले में ईडी का ऐक्शन, 24 लाख कैश-58 लाख के गहने भी सीज
- ईडी की आरे से की गई छापेमारी में आरोपियों की अचल और चल संपत्तियों से संबंधित काफी दस्तावेज जब्त किए गए हैं। 24.50 लाख रुपये की नगदी जब्त की गई है। बैंक खातों में जमा 11.50 लाख रुपये फ्रीज कराए गए है
400 करोड़ रुपये के रजिस्ट्री घपले में हुई ईडी की कार्रवाई में 24.50 लाख रुपये, 58 लाख रुपये के गहने जब्त किए गए हैं। वहीं बैंक खाते में जमा 11.50 लाख रुपये फ्रीज कराए गए हैं। आरोपियों के ठिकानों से संपत्तियों के बड़ी संख्या में दस्तावेज मिले हैं। इनकी जांच ईडी ने शुरू कर दी है।
उत्तराखंड में पिछले साल जुलाई में रजिस्ट्री घपले का खुलासा हुआ था। दूसरों की जमीनों का फर्जीवाड़े से मालिक बनकर रजिस्ट्री कराने के मामले में तत्कालीन एआईजी स्टाम्प की तरफ से 13 केस दर्ज कराए जा चुके हैं।
कुछ मुकदमे जमीन मालिकों की तरफ से दर्ज हैं। मामले में वकील कमल बिरमानी से जुड़े गैंग ने जमीनों को बेचा। जमीन इनकी नहीं थी। ऐसे में जमीन बेचने से जो धन जुटाया गया, वह अवैध धन माना गया। इसे लेकर ईडी मनी लॉड्रिंग की धाराओं में जांच कर रहा है।
इस साल जनवरी से शुरू हुई ईडी जांच में पहली बार बीते 30 अगस्त को पांच राज्यों में एक साथ 17 स्थानों पर छापेमारी की गई। ईडी जन संपर्क विभाग की तरफ से जारी जानकारी के मुताबिक ईडी की छापेमारी देहरादून, यूपी के सहारनपुर और बिजनौर, पंजाब के लुधियाना, दिल्ली, असम के बोंगाई गांव में हुई।
ईडी की आरे से की गई छापेमारी में आरोपियों की अचल और चल संपत्तियों से संबंधित काफी दस्तावेज जब्त किए गए हैं। 24.50 लाख रुपये की नगदी जब्त की गई है। बैंक खातों में जमा 11.50 लाख रुपये फ्रीज कराए गए हैं।
इसके अलावा 58.80 लाख रुपये कीमत के हीरे, सोने और चांदी के गहने जब्त किए गए हैं। कई मोबाइल फोन, घपले से जुड़ी पेनड्राइव और बैंकों से संबंधित अन्य दस्तावेज भी ईडी ने कब्जे में लिए हैं। इनकी दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
कर्मचारियों की मिलीभगत से किया घपला
ईडी की जांच से पता चला है कि आरोपियों ने आपराधिक साजिश के तहत संपत्ति पंजीकरण के रिकॉर्ड में हेराफेरी की। कलक्ट्रेट और रजिस्ट्रार कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों की मदद से मूल दस्तावेजों को जाली दस्तावेजों से बदल दिया।
इनमें से अधिकांश मामलों में संपत्ति को पहले गैंग में शामिल लोगों के रिश्तेदारों के नाम पर स्थानांतरित किया गया है। जो पहले ही मर चुके हैं। उसके बाद आरोपी मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी बने। जिनके जरिए संपत्ति को जाली दस्तावेज के माध्यम से लोगों को बेच गया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।