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शौक:हर साल एक हजार नए लोग हथियार के लाइसेंस के लिए कर रहे हैं आवेदन, कोतवाली में सबसे ज्यादा, त्यूणी में सबसे कम

देहरादून में लाइसेंसी असलहे रखने का शौक तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ साल में दून में लाइसेंसधारकों की तादाद तेजी से बढ़ी है। हर साल एक हजार नए लोग लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं। लाइसेंसी हथियार...

शौक:हर साल एक हजार नए लोग हथियार के लाइसेंस के लिए कर रहे हैं आवेदन, कोतवाली में सबसे ज्यादा, त्यूणी में सबसे कम
लाइव हिन्दुस्तान, देहरादून। शैलेन्द्र सेमवालTue, 31 Jul 2018 05:27 PM
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देहरादून में लाइसेंसी असलहे रखने का शौक तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ साल में दून में लाइसेंसधारकों की तादाद तेजी से बढ़ी है। हर साल एक हजार नए लोग लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं। लाइसेंसी हथियार अब स्टेटस सिम्बल बन चुके हैं। ज्यादातर की पसंद रिवाल्वर और पिस्टल हैं तो एकनाली, दुनाली बंदूक रखने वालों की तादाद भी कम नहीं है। पूर्व फौजी, प्राइवेट गार्ड आदि ऐसी बंदूकें रखते हैं तो खुद को सोसाइटी में अलग दिखाने की चाहत लोगों को रिवाल्वर और पिस्टल का लाइसेंस लेने को प्रोत्साहित करती है। 2012 में दून में केवल 7988 लाइसेंस धारक थे। लेकिन 2018 में वर्तमान में जिले के कुल 21 थाना व राजस्व क्षेत्रों में कुल लाइसेंस की संख्या 16483 पहुंच चुकी है। दून में इस समय सबसे अधिक लाइसेंस थाना कोतवाली(3771), डालनवाला(2095), क्लेमनटाउन(1521), चकराता(1211), कैंट(1302), मसूरी(1210), ऋषिकेश(964), राजपुर(743), सहसपुर(880), डोईवाला(654) थाना क्षेत्र के हैं। त्यूणी थाने में सबसे कम(02) लाइसेंस धारक हैं। रानीपोखरी थाने में 41 व प्रेमनगर थाने में सिर्फ 43 असलहाधारक ही हैं।

लाइसेंस भी हुए खानदानी: कई लाइसेंस तो ऐसे भी हैं जो बाप-दादा के जमाने से चले आ रहे हैं। ऐसे लाइसेंस मूल आवेदक के निधन के बाद सरेंडर नहीं हुए बल्कि जायदाद की तरह नई पीढ़ी में ट्रांसफर कर दिए गए। नए लाइसेंस आवेदकों के अलावा ऐसे आवेदन भी हर रोज असलहा बाबू की टेबल पर आते हैं, जिन्हें स्वीकृत करने की प्रक्रिया काफी जटिल है।

पुलिस ने दिखाई सख्ती: पिछले साल कालिका मंदिर में ध्वजारोहण के दौरान एक व्यक्ति द्वारा हर्ष फायरिंग के बाद नए लाइसेंसधारकों को लाइसेंस हासिल करने में थोड़ी मुश्किलें बढ़ी हैं। पुलिस की ओर से दिए जाने वाले क्लीयरेंस में सख्ती देखने को मिली है।

ऐसे मिलता है लाइसेंस
आवेदक को मूल आवेदन के साथ पांच सौ रुपये का शुल्क जमा करना होता है। लाइसेंस की स्वीकृति मिलने पर छब्बीस सौ रुपये का चालान जमा करना होता है। लाइसेंस हासिल करने के लिए आवेदक की माली हालत से लेकर मानसिक हालत, परिवार की स्थिति, मिल्कियत, क्षेत्र में रसूख, कहीं कोई सरकारी देनदारी तो नहीं जैसी बातें देखी जाती हैं। क्षेत्र के थानेदार या पटवारी की रिपोर्ट भी इसका अहम हिस्सा होती है। सीएमओ स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक से प्रशिक्षण प्रमाण पत्र व स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र लिया जाता है। रिवाल्वर के लिए 2000, राइफल के लिए 1500 व गन के लिए 1000 रुपये का शुल्क अलग से पड़ता है।

इस साल से सभी लाइसेंस ऑनलाइन कर दिए हैं। जरूरी दस्तावेज के साथ केवाईसी करने के बाद ये डाटा अब ऑनलाइन उपलब्ध हैं। बहरहाल ये साइट सिर्फ विभागीय रूप से खोली जा सकती है। कुछ डाटा फीड करना शेष रह गया है। साइट खोलने के लिए जिलों से पत्र भेजे गए हैं। 
मनुज गोयल, सिटी मजिस्ट्रेट
 

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