इस बार मैदान ही नहीं पहाड़ पर भी रिकार्ड तोड़ेगी गर्मी, ये है वजह
गर्मियों में अक्सर लोग पहाड़ी इलाकों का रुख करते हैं। गर्मी से तपते मैदानी इलाकों को छोड़कर पहाड़ी की ठंडी वादियों में जाते हैं, लेकिन इस बार मैदान में ही नहीं, पहाड़ पर भी गर्मी रिेकार्ड तोड़...
गर्मियों में अक्सर लोग पहाड़ी इलाकों का रुख करते हैं। गर्मी से तपते मैदानी इलाकों को छोड़कर पहाड़ी की ठंडी वादियों में जाते हैं, लेकिन इस बार मैदान में ही नहीं, पहाड़ पर भी गर्मी रिेकार्ड तोड़ देगी। जाड़ों में औसत से कम बारिश और हिमपात इसकी वजह है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भू-मध्यसागर और अटलांटिक सागर से लंबा सफर तय कर हिमालयी राज्यों में पहुंचने वाले बादल (पश्चिमी विक्षोभ) के रास्ता बदल लेने के कारण यह नौबत आयी है।
मौसम विज्ञान केंद्र (आईएमडी) की एक रिपोर्ट के अनुसार भू-मध्यसागर और अटलांटिक महासागर में वाष्पीकरण से जो बादल बनते हैं, वो अफगानिस्तान, पाकिस्तान से प्रवेश कर जम्मू कश्मीर और फिर हिमाचल और उत्तराखंड तक पहुंचते हैं। यहां हिमालय से टकराने के बाद ये दोनों राज्यों में बरसते हैं। लेकिन, इस बार ये बादल जम्मू कश्मीर से पूर्व की ओर (हिमाचल-उत्तराखंड) की ओर आने के बजाये उत्तर (कजाकिस्तान-चीन) की ओर मुड़ गये।
ऐसा एक बार नहीं, बल्कि अक्टूबर से फरवरी तक जितने भी बादल भू-मध्यसागर या अटलांटिक सागर से चले, सभी के साथ लगभग ऐसा ही हुआ। बादलोंं के रास्ता बदल लेने से इस बार बारिश और बर्फबारी बहुत कम हुई है। इस कारण हिमाचल और उत्तराखंड में न्यूनतम और अधिकतम तापमान दो से तीन डिग्री तक ज्यादा रहा। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बार अप्रैल, मई और जून में रिकॉर्ड गर्मी पड़ सकती हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि इसका एक कारण ग्लोबल वार्मिंग तो है ही। पश्चिमी विक्षोभ के ट्रेक में बदलाव के कारण भी इस बार बारिश और बर्फबारी कम हुई है।
तापमान औसतन
2016
जनवरी 20.39 6.19
फरवरी 23.05 8.15
2017
जनवरी 21.3 6.85
फरवरी 25.43 08.95
2018
जनवरी 22.88 6.14
फरवरी 25.27 09.87
ये है मानक
- जनवरी में 19.08 रहना चाहिये जबकि न्यूनतम 05.8 (दोनों औसत)
- फरवरी में 21.07 रहना चाहिये जबकि न्यूनतम 07.5 (दोनों औसत)