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संत को कहीं न कहीं चातुर्मास करना होता है: सौरभ सागर

जैन समाज की ओर से मुनि सौरभ सागर महाराज के चातुर्मास में सहयोग करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। चातुर्मास प्रवास के अंतिम दिन मंगल प्रवचन करते हुए मुनि सौरभ सागर महाराज ने कहा कि संत को कहीं न...

संत को कहीं न कहीं चातुर्मास करना होता है: सौरभ सागर
हिन्दुस्तान टीम,देहरादूनSun, 03 Nov 2019 04:49 PM
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जैन समाज की ओर से मुनि सौरभ सागर महाराज के चातुर्मास में सहयोग करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। चातुर्मास प्रवास के अंतिम दिन मंगल प्रवचन करते हुए मुनि सौरभ सागर महाराज ने कहा कि संत को कहीं न कहीं चातुर्मास करना होता है। श्रावक कितना धर्म के रास्ते पर चलता है यह पूरी तरह से मनुष्य पर निर्भर करता है। इस दौरान लोगों ने मुनि सौरभ सागर महाराज के मंगल विहार को नम आंखों से विदाई दी।

रविवार को जैन धर्मशाला में चातुर्मास प्रवास के अंतिम दिन विधिवत पूजा अर्चना की गई। इसके बाद मुनि सौरभ सागर महारजा के सानिध्य में पिच्छी परिवर्तन और चार्तुमास के दौरान विभिन्न अनुष्ठानों में सहयोग करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। देहरादून के लिए लोगों को मंगल आशीर्वाद देते हुए मुनि सौरभ सागर महाराज ने कहा कि चार महीने में लोगों के सहयोग से ही चातुर्मास प्रवास सफलतापूर्व संपन्न हुआ। वहीं शाम तीन बजे मुनि सौरभ सागर महाराज का मंगल विहार ऋषिकेश के लिए हुआ। जिसमें जैन समाज के सभी श्रद्धालुओं ने नम आंखो से मुनि सौरभ सागर महाराज को विदाई दी। इस मौके पर नरेंद्र कुमार जैन, अमित जैन, दीपा जैन, विनोद कुमार जै, सुकुमार जैन, संदीप, संजय जैन, दिनेश जैन, मुकेश जैन, राजीव,सचिन, विनयज, अनिल, अल्का, मंजू जैन, सुनैना, पूर्णिमा जैन, अजित जैन आदि मौजूद रहे।

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