ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तराखंड देहरादूनगांव के खेत बंजर न हों, इसलिए 8 गांव में हल लगा रही कौशल्या

गांव के खेत बंजर न हों, इसलिए 8 गांव में हल लगा रही कौशल्या

पौड़ी जिले के सितोन्स्यूं पट्टी के कठूड़ गांव की कौशल्या की मेहनतकश कहानी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा...

गांव के खेत बंजर न हों, इसलिए 8 गांव में हल लगा रही कौशल्या
हिन्दुस्तान टीम,देहरादूनMon, 20 Apr 2020 04:28 PM
ऐप पर पढ़ें

पौड़ी जिले के सितोन्स्यूं पट्टी के कठूड़ गांव की कौशल्या की मेहनतकश कहानी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। ये महिला गांव के खेत बंजर न हो जाएं इसलिए आठ गांव में जाकर हल लगा रही हैं। कौशल्या की जीवटता की ये कहानी सोशल मीडिया में सराही जा रही है।

पौड़ी-देवप्रयाग के बीच कोट विकासखंड को जाने वाले मार्ग में कौशल्या का गांव पड़ता है। पति जयकृत सिंह रावत के निधन के बाद चार बच्चों के भरण पोषण की जिम्मेदारी कौशल्या पर आ गई। कुली का काम किया। फिर खेत में हल चलाने लगी। गांव में ऐसे करीब 12 परिवार थे। जिनके खेत तो थे मगर उन्हें जोतने वाला कोई न था। कौशल्या बताती है कि उन्होंने इन परिवारों से कहा कि उनके खाली खेत वो जोत देगी। यदि वह स्वेच्छा से ध्याड़ी दें। अब उसके खेत जोतने का सिलसिला दूसरे गांव में पहुंच गया है। यहां वह सट्टी, झंगौरा, दाल की खेती कर रही हैं। कोरोना महामारी के मुश्किल समय में भी कौशल्या देवी मेहनत कर रही है और प्रवासी परिवारों के छूटे हुए खेत सरसब्ज किए हुए है। राज्य पशु कल्याण बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष सरिता नेगी के मुताबिक कौशल्या रोजाना तड़के उठकर पांच बजे तक खेत में पहुंच जाती है। इस समय वह आठ गांव में हल चला रही है। जिसमें नवून, सिरकुन, चलंगी, कंडुलगांव, जमलागांव, पंचुर शामिल हैं। कौशल्या सचमुच में आयरन लेडी है।

जबकि गढ़वाली नारी जहाज उड़े सकदी, त हल कुछ भी कठिन नी च, मेहनत ज्यादा च। जगन्नाथ मैठाणी।

सराहनीय कार्य, महिला ही पूरा घर-बार खेत-खलिहान संभालती है, केवल हल लगाने पर प्रतिबंध समाज लगाता है। देवसिंह रावत।

बहन आपके इस बुलंद हौसले को प्रणाम करतीं हूं। उषा सेमवाल।

हमारे देवभूमि उत्तराखंड की महान कृषक को दिल से प्रणाम। राजेन्द्र सिंह बिष्ट।

नारी शक्ति का रूप है।नमन इस शक्ति स्वरूप को। प्रताप सिंह रावत।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें