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धै-धाद लगाकर बुलंद की गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग

गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर मंगलवार को धै-धाद मुहिम की शुरूआत की। इस मौके पर अभियान से जुड़े तमाम कार्यकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि अब पहाड़ जाना पड़े या तिहाड़...

धै-धाद लगाकर बुलंद की गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग
हिन्दुस्तान टीम,देहरादूनTue, 13 Nov 2018 05:30 PM
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गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर मंगलवार को धै-धाद मुहिम की शुरूआत की। इस मौके पर अभियान से जुड़े तमाम कार्यकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि अब पहाड़ जाना पड़े या तिहाड़ गैरसैंण को हर हाल में राजधानी बनाकर ही दम लेंगे।

विभिन्न कार्यकर्ताओं ने गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा में धै-धाद लगाकर शानस प्रशासन को जगाया। अभियान को समर्थन देने पहुंचे रुद्रप्रयाग के शंभू प्रसाद भट्ट ने कहा कि गैरसैंण की लड़ाई उत्तराखंड के जनमानस के लड़ाई है। अब इसका आगाज नए सिरे से किया जाएगा। वहीं राज्य आंदोलनकारी मनोज ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड के शाश्वत विकास जिसमें सामाजिक विकास, सांस्कृतिक विकास, आर्थिक विकास आदि सभी समाहित हैं के लिए गैरसैंण राजधानी निर्मित करना बेहद जरुरी है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को आंदोलन के दौरान सरकार, शासन और अवाम को केंद्रित करते हुए गैरसैंण राजधानी निर्माण के पक्ष में धै-धाद लगाकर शासन प्रशासन को जगाने का प्रयास किया गया। धै-धाद कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए मदन सिंह भंडारी ने कहा कि धै-धाद का मक़सद गैरसैंण की आवाज को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना है। इस दौरान पूर्व छात्र महासचिव गोपेश्वर पीजी कॉलेज, संजय किमोठी और लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल ने गढ़वाली भाषा में धै-धाद लगाई। इसे पहाड़ी समुदाय के लिए बडी जरूरत बताया। धै-धाद कार्यक्रम में गढ़वाली जन गीतों से क्रांति का बिगुल बजाया गया। इस अवसर पर नीरज गौड़, ब्रह्मानंद डालाकोटी, छात्रा सुमन नेगी, सुमन डोभाल काला, पूर्व नौ सेना अधिकारी पीसी थपलियाल, शीला रावत, इंद्र सिंह भंडारी, संजय किमोठी, मनमोहन लखेडा, प्रेम सिंह गुसांई, दवेंद्र चमोली, सुभाष रतूडी, दीपक शर्मा सकलानी, आचिन बहुगुणा, संजीव कुमार, ज्योत्सना असवाल, आरती भट्ट, किरण किशोर, सोहन सिंह, प्रकाश उनियाल आदि मौजूद रहे।

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