हजारों साल पहले हिमालय की जलवायु कैसी थी? बारिश और हिमपात कितना होता था? क्या तब भी ग्लोबल वार्मिंग से पहाड़ जूझ रहे थे? कुल मिलाकर आज से दो हजार साल पहले हिमालय और उसके आसपास के क्षेत्रों में मौसम का क्या हाल था। इसकी सटीक गणना के लिए दून के वैज्ञानिकों ने फॉर्मूला खोज निकाला है। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक अक्षय वर्मा की इस खोज को इंटरनेशनल जनरल ‘हाइड्रोलॉजिकल प्रोसेस’ ने अपनी पत्रिका में जगह दी है। अभी तक हिमालय की सालों पुरानी जलवायु की गणना ‘मोरेन’ प्रक्रिया के जरिये होती थी। इस प्रक्रिया के हिमालय में किसी भू-भाग की चट्टान का शोध किया जाता था। ये प्रक्रिया कुछ सौ साल पुराना इतिहास ही बता पाती थी, जो काफी हद तक अनुमान पर आधारित होता था। लेकिन अब वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक अक्षय वर्मा ने ‘ऑक्सीजन आइसोटोप’ अध्ययन के जरिये हजारों सालों की गणना का फॉर्मूला तैयार कर लिया है। उनके इस फार्मूले के जरिये उन्होंने गंगोत्री के पास एक चट्टान के तीन मीटर हिस्से की गणना की तो 1980 से पहले 1480 तक हर दिन के मौसम के परिणाम सामने आ गए। ये परिणाम इतने सटीक थे कि उसमें हर दिन के तापमान के साथ ही उमस और बारिश की गणना भी शामिल थी। चीन के वैज्ञानिकों के आंकड़ों से मिलान करने पर यह पुख्ता हो गए। वैज्ञानिक अक्षय वर्मा बताते हैं कि ऑक्सीजन आइसोटोप अध्ययन से हिमालय को फिर से नए तरीके से समझा जा सकेगा। ये फॉर्मूला ग्लोबल वार्मिंग के अभी तक के कयासों का सटीक तरह से आकलन कर सकेगा।
अगली स्टोरी