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हर धर्म को मानने वालों के साथ रखे भाई सा रिश्ता: शहर काजी

मंगलवार रात चांद नजर आने के बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में शहर की विभिन्न मस्जिदों और ईदगाह में जाकर नमाज पढ़ी। देश-दुनिया और इंसानियत की सलामती व तरक्की के लिए हजारों की संख्या में...

हर धर्म को मानने वालों के साथ रखे भाई सा रिश्ता: शहर काजी
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनWed, 05 Jun 2019 06:28 PM
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मंगलवार रात चांद नजर आने के बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में शहर की विभिन्न मस्जिदों और ईदगाह में जाकर नमाज पढ़ी। देश-दुनिया और इंसानियत की सलामती व तरक्की के लिए हजारों की संख्या में सजदे में हाथ उठाकर दुआ मांगी गई। ईदगाह चकराता रोड में अपनी तकरीर में शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद काजमी बोले कि हर धर्म को मानने वालों के साथ भाई भाई का रिश्ता रखना चाहिए ताकि चारों ओर अमन चैन कायम रहे। चकराता रोड स्थित ईदगाह में शहर काजी ने हजारों नमाजियों से कहा कि, इस पूरे महीने रोजेदारों ने जिस सब्र और एहतियात से हुजुर की शान में अपना ऐहतराम किया है वह काबिलेगौर है। माहे रमजान में जिस पाकीजगी से उन्होंने खुद को रखा है बाकी के 11 महीने अल्लाह उन्हें अपनी निगहबानी में लेकर पाक साफ रखेगा। वे बोले कि देश में कौमी एकता के बीच फर्क पैदा करने के लिए अक्सर अपवाहों का सहारा लिया जाता है। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों को इसके लिए उपयोग किया जा रहा है। इससे बचके रहे और अपवाहों पर ध्यान न दे। हर धर्म को मानने वाले के साथ भाई का सात नाता रखे।

 

 

अल्लाह उसी का साथ देता है जो नेकी और अमन के रास्ते पर चलता है। अमन पसंद रहे और अपने आसपास अमन से वास्ता न रखने वालों से बराबर दूरी बनाकर रखे। आपने माहे रमजान में बेहद सख्त मौसम में रोजे रखकर दिखा दिया है कि आपका ईमान मजबूत है और अब आप पर ये जिम्मेदारी है कि इस मुल्क की तरक्की के लिए खुद को साबित करो। शहर मुफ्ती सलीम अहमद ने कहा कि पैगबंरे इस्लाम में कहा गया है कि जब रोजेदार माहे रमजान की जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं तो एक दिन अल्लाह इबादत करने वाले बंदे को बख्शीशों से नवाज देता है। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है इस महीने के खत्म होते ही दसवां माह शव्वाल का शुरू होता है। इसी माह की पहली रात चांदरात होती है। यह त्यौहार चांद का पैगाम लेकर आया है। नायब शहर काजी सैय्यद अशरफ हुसैन कादरी ने अपनी तकरीर में कहा कि रोजे ने अल्लाह के बंदे को भूखा प्यासा रहने का मतलब समझाया है। इसलिए वह और भी अधिक दुनियावी, इंसानियत के करीब हो जाता है उसे हरपल दूसरों के दुख दर्द का एहसास रहता है। माल असबाब के लिए भागदौड़ और लालच इंसान के वजूद को मिटा डालता है। लेकिन पाक रमजान उसे वापस वास्तविकता की धरातल पर ले आता है।

नमाज से पहले अदा किया फितरा
नमाज में जाने से पहले रोजेदारों ने ईद उल फितर में खुले दिल से फितरा अदा किया। जरूरतमंदों को जकात का हिस्सा दिया। शहर में जहां भी नमाज को लोग पहुंच रहे थे वहां ईदगाह या मस्जिद के बाहर काफी संख्या में मौजूद जरूरतमंदों को नमाजियों ने फितरा अदा किया। ईदगाह चकराता रोड में जहां हजारों लोगों ने एक साथ नमाज अता की वहां पर ईदगाह से आगे गलियों तक में नमाजी बैठे हुए थे। सिविल डिफेंस की ओर से नमाजियों को शरबत बांटा गया तो चकराता रोड पर शिवशनि मंदिर के सामने भी नमाजियों को मीठा शर्बत बांटा गया।

सिवईयों, शीर खुरमे से मनाई मीठी ईद
नमाज के बाद रोजेदारों ने घर आकर परिजनों संग सिवाईयों, फेनी और शीर खुरमे से मीठी ईद मनाई। छोटे बड़े आपस में गले मिले और ईद की दिली मुबारकबाद दी। पड़ोसियों, नातेदारों और दोस्तों को ईद की खुशियों में शामिल किया गया। किसी ने भाईचारा दिखाते हुए दूसरे समुदाय के दोस्तों को सिवईयां खाने घर पर दावत दी तो किसी ने दोस्त के लिए मिठाई का पैगाम भेज अपना फर्ज पूरा किया। बाजारों में मीठी सिवाईयों के अलावा शीरमाल, बाकरखानी, अंगूरदाना खरीदने को लेकर लोगों में बहुत उत्साह रहा। मशीन और हाथ से बनी मैदे की सिवाईयों को दूध, खुरमा में खोपरा, किशमिश, छुहारा, काजू के साथ डालकर और भी उम्दा स्वाद दिया गया था। 

यहां पढ़ी गई नमाज
ईदगाह चकराता रोड
माजरा मस्जिद
क्लेमनटाउन, सुभाषनगर ईदगाह
धामावाला मस्जिद
जामा मस्जिद पलटन बाजार
मुस्लिम कॉलोनी ईदगाह
शिया जामा मस्जिद ईसी रोड
गांधी ग्राम गौसिया जामा मस्जिद
लोहियानगर जामा मस्जिद
कंडोली साबरी मस्जिद
 

 
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