Ration Crisis Deepens in Dharali and Harsil Valleys Amid Road Blockages धराली आपदा:::::हर्षिल-धराली के गांवों में राशन का संकट गहराया, Dehradun Hindi News - Hindustan
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धराली आपदा:::::हर्षिल-धराली के गांवों में राशन का संकट गहराया

धराली और हर्षिल घाटी में राशन का संकट गहरा गया है। सड़कें बंद होने से आवश्यक सामान की सप्लाई 10 दिन से ठप है। नमक, तेल और चीनी जैसी चीजों की भारी कमी हो रही है। सरकारी गोदाम में राशन खत्म होने के कगार...

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनThu, 14 Aug 2025 04:44 PM
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धराली आपदा:::::हर्षिल-धराली के गांवों में राशन का संकट गहराया

धराली और हर्षिल घाटी के गांवों में राशन का संकट गहरा रहा है। सड़कें बंद होने से जरूरी सामान की सप्लाई भी पिछले दस दिन से ठप है। नमक, तेल, मसाले, चीनी और चायपत्ती तक के लिए लोग भटक रहे हैं। अधिकांश लोग सरकारी राशन के भरोसे गुजर-बसर कर रहे हैं। जल्द रास्ते नहीं खुले तो इसका भी संकट खड़ा हो सकता है। शासन-प्रशासन का फोकस धराली रेस्क्यू में होने के कारण पूरी मदद भी नहीं मिल पा रही है। पांच अगस्त को आई आपदा की सबसे बड़ी मार धराली-हर्षिल पर पड़ी है, लेकिन आसपास के क्षेत्र भी इससे कम त्रस्त नहीं हैं।

डबरानी के पास गंगोत्री हाईवे टूटने से हर्षिल घाटी के आठ गांवों का सड़क संपर्क 10 दिनों से कटा हुआ है। झाला, जसपुर, पुराली, बगोरी, मुखवा आदि की करीब 12 हजार आबादी सरकारी राशन के भरोसे जी रही है। जिला पूर्ति विभाग के मुताबिक, झाला स्थित सरकारी गोदाम में अब सिर्फ 150 क्विंटल चावल और इतना ही गेहूं बचा है। ऐसे में यदि जल्द सप्लाई सुचारु नहीं हुई तो राशन का संकट बड़ी चुनौती होगा। जरूरी सामान की समस्या से लोग पहले ही जूझ रहे हैं। दिन-रात दाल खाकर चला रहे हैं काम सुक्की गांव के निवासी महेंद्र सिंह राणा बताते हैं कि उनके घर में भी राशन लगभग खत्म हो चुका है। घर में सिर्फ भात और सब्जी ही बन रहा है। गंगोत्री में तो सब्जियां, दूध कुछ भी नहीं पहुंच रहा है, जो लोग यहां रुके हैं, सीमित राशन में दिन रात दाल-चावल से काम चला रहे हैं। प्रशासन का फोकस अभी हर्षिल और धराली पर ज्यादा है, लेकिन संकट झेल रहे बाकी गांवों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। गैस खत्म, लकड़ी पर पक रहा खाना झाला के केदार सिंह बताते हैं कि उनके पास दो सिलेंडर थे। एक सिलेंडर पहले ही खाली पड़ा था। सोचा था बरसात रुकने के बाद भराऊंगा। लेकिन तब तक आपदा आ गई अब दोनों सिलेंडर खाली हो चुके हैं। जंगल से लकड़ी बीनकर चूल्हे में खाना बना रहे हैं। लकड़ियां गीली होने के कारण ये भी एक चुनौती बना हुआ है। केदार बताते हैं कि उनके गांवों में अधिकांश परिवारों के गैस सिलेंडर खाली हो चुके हैं और सभी लकड़ी के भरोसे हैं। 23 में से 14 दुकानें दस दिन में बंद हो गईं परचून की दुकान चलाने वाले राकेश राणा बताते हैं कि जो दुकानें खुली हैं, उनके पास भी गिनती का ही सामान बचा है। नमक, चीनी, चायपत्ती जैसी जरूरी चीजें भी इन दुकानों पर उपलब्ध नहीं हैं। सप्लाई ठप होने से इलाके की 23 में से 14 परचून की दुकानें पूरी तरह बंद हो चुकी हैं। सड़क बंद होने पर सप्लाई का बड़ा विकल्प मजदूर और खच्चर होते थे, लेकिन धराली आपदा के बाद मजदूर भी यहां से चले गए हैं। जो कुछ घोड़े, खच्चर और मजदूर बचे हैं, वे धराली रेस्क्यू में सेना, पुलिस और एसडीआरएफ की मदद में लगे हैं। जुलाई में राशन मिलने से बची लाज सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान संचालक कपिल राणा बताते हैं कि जुलाई के अंत में सरकारी राशन मिलने के कारण अभी तक काम चल रहा है। लेकिन अब सस्ते गल्ले की दुकानों में भी राशन खत्म हो चुका है। ऐसे में जल्द सप्लाई नहीं पहुंची तो लोगों के पास पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। गर्भवती महिलाओं को पहुंचाया जा रहा उत्तरकाशी धराली और आसपास के आठ गांवों में बीमार और बुजुर्गों के सामने भी बड़ी चुनौती है। अभी वहां कैंप कर रही डॉक्टरों की टीम लोगों को राहत दे रही है, लेकिन गर्भवती महिलाएं सबसे अधिक परेशान हैं। अधिकारियों के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग की टीम आशा कार्यकर्ताओं के संपर्क में है। हर्षिल, धराली के अलावा इलाके के अन्य गांवों में गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को हेलीकॉप्टर से उत्तरकाशी पहुंचाने का काम शुरू किया गया है। झाला स्थित सरकारी गोदाम में सिर्फ 150 क्विंटल चावल और इतना ही गेहूं बचा है। इस गोदाम से ही आपदा प्रभावित क्षेत्र के राहत शिविरों और राहत-बचाव टीमों के लिए खाद्यान्न सप्लाई किया जा रहा है। हाईवे खुलने पर अगले छह माह का राशन भी बांट दिया जाएगा। आशीष कुमार, जिला पूर्ति अधिकारी गांवों में खाद्य संकट की स्थिति से निपटने के लिए टीमें लगाई जा रही हैं। उन्हें झाला स्थित सरकारी गोदाम से बचा हुआ राशन सप्लाई किया जाएगा। अगले कुछ दिनों में सड़कें खुलने की उम्मीद है। इसके बाद राशन आदि का संकट दूर हो जाएगा। प्रशांत आर्या, जिलाधिकारी, उत्तरकाशी पहले भी आए हैं संकट अगस्त 2004 पिथौरागढ़, धारचूला में बादल फटने के बाद भारी बारिश और काली नदी में बाढ़ से सड़कें कट गईं। सीमावर्ती गांवों में 4–5 दिन तक खाद्यान्न व सब्जियों का संकट हो गया था। अगस्त 2010 उत्तरकाशी, मोरी क्षेत्र में भूस्खलन से गंगोत्री हाईवे बंद होने पर ऊपरी गांवों में एक हफ्ते तक राशन दुकानें खाली रहीं। बाद में सेना ने हेलीकॉप्टर से राहत पहुंचाई गई थी। जुलाई 2016 चमोली में भूस्खलन से बद्रीनाथ हाईवे और कई आंतरिक सड़कें बंद हो गई थीं। तब 5–6 दिन तक गांवों में राशन खत्म हो गया था। अगस्त 2018 मुनस्यारी में बादल फटने और सड़क धंसने से संपर्क टूट गया था। आसपास के गांवों में एक हफ्ते तक राशन और दवाइयों की आपूर्ति बंद रही। फरवरी 2021 चमोली में आपदा के कारण सड़कें और पुल बहने से जरूरी सामान की आपूर्ति ठप हो गई थे। ऊपरी इलाकों में 3–4 दिन में राशन की भारी किल्लत रही थी। अगस्त 2023 उत्तरकाशी में गंगोत्री क्षेत्र में भूस्खलन से हाईवे बंद हो गया था तब भी इसी क्षेत्र के 8 गांव अलग-थलग। 6–7 दिन तक राशन संकट रहा। तब मौसम ठीक होने पर हेलीकॉप्टर से आंशिक राहत सामग्री पहुंचाई गई।

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