ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तराखंड देहरादूनये क्या! सरकार नहीं, पतंजलि तय करेगा जड़ी-बूटी का क्रय मूल्य

ये क्या! सरकार नहीं, पतंजलि तय करेगा जड़ी-बूटी का क्रय मूल्य

उत्तराखंड में पैदा होने वाली जड़ी बूटियों का खरीद मूल्य राज्य सरकार नहीं, बल्कि पतंजलि घोषित करेगा। ऐसा पहली बार हुआ है, जब सरकार ने खरीद मूल्य तय करने का अधिकार एक प्राइवेट व्यावसायिक कंपनी को दिया...

ये क्या! सरकार नहीं, पतंजलि तय करेगा जड़ी-बूटी का क्रय मूल्य
देहरादून, वरिष्ठ संवाददाताMon, 28 Aug 2017 04:47 PM
ऐप पर पढ़ें

उत्तराखंड में पैदा होने वाली जड़ी बूटियों का खरीद मूल्य राज्य सरकार नहीं, बल्कि पतंजलि घोषित करेगा। ऐसा पहली बार हुआ है, जब सरकार ने खरीद मूल्य तय करने का अधिकार एक प्राइवेट व्यावसायिक कंपनी को दिया है। राज्य में बंद पड़े कुछ टूरिस्ट सेंटर भी संचालन के लिए पतंजलि को दिए जाएंगे। 

सीएम त्रिवेंद्र रावत और पतंजलि योगपीठ के प्रमुख आचार्य बालकृष्ण की मौजूदगी में बीते शनिवार को बैठक में यह सहमति बनी। सरकार और पतंजलि के बीच प्रस्तावित सहयोग कार्यक्रम की समीक्षा के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। बैठक में सीएम ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि जिन बिंदुओं पर पतंजलि के साथ सहमति बन गई है, उन पर एमओयू की तैयारी की जाए। सीएम ने जड़ी-बूटी उत्पादन विपणन को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की जरूरत बताई। पतंजलि द्वारा इस दिशा में सहयोग के लिए सीएम ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण का आभार जताया। 

समर्थन मूल्य तय करना सरकार का काम 

किसी फसल या उत्पाद का न्यूनतम क्रम मूल्य सरकार तय करती है। ताकि किसानों को फसल का न्यूनतम मूल्य हासिल हो सके। लेकिन जड़ी बूटी के मामले में उल्टा हो रहा है। जड़ी बूटियों का न्यूनतम क्रय मूल्य सरकार की बजाए आयुर्वेद के उत्पाद बनाने वाली कंपनी पतंजलि घोषित करेगी। राज्य में अभी तक जड़ी बूटियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया जाता था। निर्णय लिया कि सरकार राज्य में मौजूद जड़ी बूटियों की सूची पतंजलि को देगी। इसके बाद पतंजलि इनका न्यूनतम क्रय मूल्य तय करेगी।

बद्री गाय संवर्द्धन योजना भी पतंजलि को  

चंपावत के नारियाल गांव में सरकार की बद्री गाय संवर्द्धन योजना अब पतंजलि संचालित करेगा। यह सरकारी फार्म 21 हेक्टेयर (करीब 1050 नाली) क्षेत्र में फैला है। यहां 193 गायें हैं। पशुपालन विभाग ने अगले तीन महीनों के लिए पतंजलि से 1073 मीट्रिक टन चारे की डिमांड की है। जबकि पशुपालन विभाग पतंजलि को 12000 लीटर दूध की आपूर्ति करेगा। पतंजलि आयुर्वेद विवि के शोधार्थियों को अपनी लैब उपलब्ध कराएगा। पतंजलि की ओर से हरिद्वार के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर हाईजीन संबंधी सुविधाएं विकसित करने की सहमति दी है। बैठक में आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत तथा पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी, आयुर्वेद निदेशक अरुण कुमार त्रिपाठी सहित मौजूद थे। 

पतंजलि शुरू करेगा कांट्रेक्ट फार्मिंग 

बैठक में यह सहमति बनी कि पतंजलि राज्य में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में कांट्रेक्ट फार्मिंग शुरू करेगा। वन विभाग के मुनिकी रेती हर्बल गार्डन को मार्डन नर्सरी के रूप में विकसित किया जाएगा। गोमूत्र और पशुचारा को लेकर भी दोनों के बीच सहमति बनी है। लोगों को पतंजलि के माध्यम से पंचकर्म, योग का प्रशिक्षण देकर राज्य में नए पर्यटन केंद्र विकसित किए जाने और बंद पड़े टूरिस्ट सेंटरों में से कुछ को पतंजलि को दिए जाने पर बैठक में सहमति जताई गई।

एक ही कंपनी का एकाधिकार ठीक नहीं : गुरुकुल कांगड़ी  

गुरुकुल कांगड़ी फार्मेसी, हरिद्वार के प्रभारी डॉ. दीनानाथ शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार का यह फैसला स्वीकार करने योग्य नहीं है। इससे उत्तराखंड में पैदा होने वाली औषधियों पर एक ही संस्था का एकाधिकार हो जाएगा। यदि सरकार यह अधिकार अपने पास रखे तो वह तब भी सही है। लेकिन एक संस्था को इतना बड़ा अधिकार देना बिल्कुल उचित नहीं है। जबकि हिमालया ड्रग कंपनी के प्रेसिडेंट डॉ. एस फारुख ने कहा कि उत्पादक जिसके पास ठीक रेट मिलेगा उसको बेचेंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

बाबा की गोद में बैठी है सरकार : प्रीतम सिंह 

प्रदेश अध्यक्ष-कांग्रेस प्रीतम सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार हर क्षेत्र में मर्यादाओं का उल्लंघन कर रही है। कभी संघ इनकी समीक्षा करता है तो कभी पूरी सरकार व्यापारी बाबा रामदेव की गोद में बैठी नजर आती है। अब जड़ी बूटी का मूल्य ही लीजिए, कोई व्यापारी कंपनी भला किसान को ज्यादा मूल्य क्यों देगी? समर्थन मूल्य सरकार को तय करे। भाजपा सरकार केवल कुछ चुनिंदा लोगों के हितों के लिए ही काम कर रही है। जनता की उसे परवाह नहीं है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें