मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने..
देहरादून। कार्यालय संवाददाता कालिका माता मन्दिर प्रांगण में चल रही श्री भागवत कथा में भागवत आचार्य संत दीनबंधु दास महाराज ने सत्संग श्रवण की महिमा...
देहरादून। कार्यालय संवाददाता
कालिका माता मन्दिर प्रांगण में चल रही श्री भागवत कथा में भागवत आचार्य संत दीनबंधु दास महाराज ने सत्संग श्रवण की महिमा बताते हुए कहा श्रवण प्रथम भक्ति है, कीर्तन दूसरी भक्ति। इसलिए हरि कथा सदैव सुनते रहना चाहिए।
भागवत रचना के विषय में बताते हुए कहा कि महर्षि वेदव्यास ने द्वापर युग के अंत में भागवत की रचना नारद जी के कहने बाद की और सुखदेव को अध्ययन कराया उन्होंने राजा परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा सुनाई। इसके बाद राजा परीक्षित की मुक्ति हुई। राजा परीक्षित गंगा तट पर बैठे थे। ऋषि मुनियों के साथ कोई भी संत निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि क्या करें तब सुखदेव प्रकट हुए और राजा ने अभिनंदन किया। राजा परीक्षित ने सुखदेव से प्रश्न किया, मरने वाले को क्या करना चाहिए। तब उन्होंने विधिवत श्रीमद् भागवत कथा सुनाई। राजा कथा सुनकर भाव विभोर हो गए। सुखदेव ने राजा परीक्षित से कहा कि अपने मन को प्रभु के चरणों में लगाओ। राजा ने कहा मन मेरे बस में नहीं है, सुखदेव ने मन को वश में करने की विधि बताई कि, सबसे पहले आसन पर विजय, अच्छे लोगों को संघ, इंद्रियों को जीतने की कला, तब भगवान का ध्यान करो, धीरे धीरे मन वश में हो जाएगा। भजन मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने.., राधे राधे जपो चले आएंगे बिहारी.., मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, करते हो तुम कन्हैया बस नाम मेरा हो रहा.., आशा रख पगली वो आएंगे..जैसे भजन पर श्रद्धालु झूम उठे। इस अवसर पर ट्रस्टी गगन सेठी, रमेश साहनी, दयाल धवन, रामस्वरूप भाटिया, उमेश मिनोचा, अशोक लांबा, नरेश मैनी, भारत भूषण शर्मा, सतीश कक्कड़, केवल आनंद, शशि तलवार, जय किशन कक्कड़, नन्द कुमार, आनंद, अशोक मित्तल, हरीश कक्कड़, मुरली चांदना, संजीव शर्मा, सतीश मेहता, विजय अरोड़ा, उमेश मारवाह, शैंकी डोरा, शुभम मैनी, हिमांशु अरोड़ा, संजय आनंद, मोहित बांगा, अमित अरोरा, महेश ग्रोवर, प्रदुमन मैनी, महेश डोरा व अपार भक्त समाज उपसित था।