विश्व पुस्तक मेले में पहुंचा हटवाल का जमनदास ढोली
नई दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले में डॉ. नंद किशोर हटवाल के नाटक 'जमन दास ढोली' का विमोचन किया गया। साहित्यकारों ने इस नाटक को उत्तराखंड की संस्कृति और लोक कलाकारों के मुद्दों को उजागर...

नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में डॉ.नंद किशोर हटवाल के नाटक 'जमन दास ढोली' का विमोचन किया गया। विमोचन के दौरान हुई पुस्तक चर्चा में इस अवसर पर साहित्यकार गणेश खुशहाल गणी ने कहा की यह नाटक अपने आप में अनूठा है। यह उत्तराखंड की ढोल वादन कला पर विशिष्ट तरीके से प्रकाश डालता है। साहित्यकार बीना बेंजवाल ने कहा कि जमन दास ढोली नाटक उत्तराखंड की संस्कृति, यहां के लोक कलाकारों को केंद्र में रखकर रचा गया है। इस नाटक में ढोल वादकों की समस्याएं, सम्मान, रोजगार सहित अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। इस अवसर पर रमाकांत बेंजवाल ने गढ़वाली में अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने कहा कि पहली बार ही किसी लोक कलाकार को केंद्र में रखकर कोई नाटक लिखा गया है। इसमें कला के साथ कलाकारों की स्थिति को भी स्पष्ट किया गया। साहित्यकार शूरवीर रावत ने कहा कि नाटक उत्तराखंड में ढोल की महत्ता को प्रभावपूर्ण तरीके से स्पष्ट करता है। नाटक में कला तथा कलाकारों को हल्के रूप से लेने वालों पर व्यंग्य के साथ सांस्कृतिक संरक्षण का दिखावा करने वाले संस्कृत कर्मियों पर व्यंग्य भी है। समय साक्ष्य के समन्वयक प्रवीन कुमार भट्ट ने बताया कि संपूर्ण नाटक 10 दृश्यों में विभाजित है। नाटक के संवाद प्रभावशाली भाषा शैली गढ़वाली मिश्रित हिंदी है। नाटक की भूमिका साहित्यकार डॉ. राजेश पाल में लिखी है। प्राक्कथन कला प्रदर्शन विशेषज्ञ सुवर्ण रावत ने लिखा है। नाटक पर सुप्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, प्रीतम भरतवाण, प्रोफेसर डीआर पुरोहित, प्रेम हिंदवाल, सतीश धौलाखंडी तथा हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक दिनेश पी. भोंसले की सम्मतियां भी हैं।
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