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भू कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने समिति को सौंपे सुझाव

देहरादून। कार्यालय संवाददाता भू-कानून को लेकर संघर्ष कर रही विभिन्न संस्था व संगठनों के प्रतिनिधियों ने भू-कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले सचिवालय में समिति के सचिव व राजस्व सचिव वी...

भू कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने समिति को सौंपे सुझाव
हिन्दुस्तान टीम,देहरादूनMon, 25 Oct 2021 06:50 PM
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देहरादून। भू-कानून को लेकर संघर्ष कर रही विभिन्न संस्था व संगठनों के प्रतिनिधियों ने भू-कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले सचिवालय में समिति के सचिव व राजस्व सचिव वी पुरूषोत्तम को 13 सूत्रीय सुझाव व आपत्ति पत्र सौंपा। निर्मला बिष्ट व प्रदीप कुकरेती के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि हिमाचल की तर्ज पर राज्य में सख्त भू-कानून लाना चाहिए।

सचिवालय स्थित विश्वकर्मा भवन के पंचम तल में शिष्टमंडल ने चर्चा कर सुझाव व आपत्ति पत्र सौंपा। निर्मला बिष्ट ने कहा कि राज्य गठन के बाद राज्य की जमीनों को सुरक्षित करने का कोई प्रयास नहीं हुआ। जबकि 2018 में ऐसे संशोधन कर दिए गए। जिससे औद्यागिक विकास के नाम पर राज्य में जमीनों की लूट शुरू हो गई। सचिव वी पुरूषोत्तम ने गम्भीरता पूर्वक शिष्टमंडल के सुझावों को अग्रिम कार्यवाही के लिए सरकार को भेजने का आश्वासन दिया। भू-कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा उत्तराखंड के शिष्टमंडल में उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, उत्तराखंड महिला मंच की संयोजक निर्मला बिष्ट, अखिल गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, पेंशनर एसोसिएशन प्रदेश अध्यक्ष पीडी गुप्ता, कूर्माचंल सांस्कृतिक व कल्याण परिषद अध्यक्ष कमल रजवार, सरस्वती विहार वेलफेयर सोसाइटी सचिव गजेन्द्र भंडारी, अखिल भारतीय समानता मंच सचिव एलपी रतूड़ी, मनीष पाण्डे, देव शक्ति संगठन के आशीष नौटियाल, विजय कैन्तुरा, विजय नैथानी आदि मौजूद रहे। मोर्चा सदस्य प्रदीप कुकरेती ने बताया कि हिमाचल क़ी तर्ज पर सशक्त भू-कानून लागू करवाने के लिए पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आगामी 30-अक्टूबर को सभी लोग गांधी पार्क के मुख्य द्वार पर धरना देंगे।

ये सौंपे सुझाव-

1-2018 में भू अधिनियम में हुए संशोधन निरस्त हों।

2-सशक्तू भू कानून बनाकर राज्य के मूल निवासियों के हित सुरक्षित किए जाएं

3-राज्य में जमीन खरीदने का हक केवल राज्यवासियों को ही मिले। बाहरी निवेशकर्ताओं को राज्य के आर्थिक हित के मद्देनजर विशेष परिस्थितियों में ही जमीन दी जाए।

4-राज्य गठन के बाद से उत्तराखंड में रहने वालों को ही जमीन खरीदने का अधिकार मिले

5-ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि को कृषि कार्य करने को इच्छुक स्थानीय निवासियों को दी जाए।

6-किसी भी परिवार को 12.5 एकड़ से अधिक भूमि रखने का अधिकार न हो

7-नगर क्षेत्र में पूर्व की तरह 250 वर्ग मीटर भूमि रखने की सीमा निर्धारित की जाए

8-राज्य में नया भूमि बंदोबस्त किया जाए

9-कृषि भूमि में चकबंदी की जाए

10-नजदीकी वन क्षेत्रों की देखरेख का जिम्मा वन पंचायतों व ग्राम पंचायतों को दिया जाए

11- भू-कानून में महिला को कृषि भूमि पर समान अधिकार दिए जाएं

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