शहीद दीपक ने कहा था मां परेशान मत होना, ठीक होकर फिर बॉर्डर पर जाऊंगा
देहरादून के नायक दीपक नैनवाल 40 दिन तक अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ते रहे। इलाज के दौरान उन्होंने पुणे के अस्पताल में दम तोड़ दिया। परिजनों ने बताया कि उनकी हालत में बीच में कुछ सुधार...
देहरादून के नायक दीपक नैनवाल 40 दिन तक अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ते रहे। इलाज के दौरान उन्होंने पुणे के अस्पताल में दम तोड़ दिया। परिजनों ने बताया कि उनकी हालत में बीच में कुछ सुधार भी हुआ। उन्होंने इस दौरान दीपक ने कई बार वीडियो कॉलिंग के जरिए घर पर मां के साथ ही दूसरे परिजनों से बात की। शुक्रवार को मां पार्वती की बेटे से अंतिम बार बात हुई।
शहीद दीपक नैनवाल के परिजनों ने बताया कि दीपक से फोन पर बातचीत होती थी, तो उसका यही कहना होता था कि आप परेशान मत होना। मैं ठीक हूं। बहुत जल्द अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी। उन्होंने मां से कहा था कि वह ठीक होने के बाद बॉर्डर पर आतंकियों से लोहा लेने फिर जाना चाहते हैं। हालांकि दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाया।
पिता भी फौज से रिटायर
नायक दीपक नैनवाल के पिता चक्रधर प्रसाद नैनवाल ऑनरेरी कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इसके बाद चक्रधर का बड़ा बेटा दीपक वर्ष 2001 में फर्स्ट महार रेजीमेंट के जरिये सेना में भर्ती हुआ। दीपक ढाई साल से कश्मीर के कुलगाम में तैनात थे। परिजनों ने बताया कि कश्मीर में मात्र तीन माह तक की तैनाती और थी। दीपक नैनवाल ने घटना की रात अपने भाई प्रदीप को फोन किया था। प्रदीप ने बताया कि उस वक्त तक सब सामान्य था। दीपक दीवाली पर घर आए थे। उन्हें 12 अप्रैल को छुट्टी पर घर आना था।
मुख्यमंत्री ने शोक जताया
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दीपक नैनवाल की शहादत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने शहादत को सलाम करते हुए कहा कि सरकार शहीद के परिजनों को हरसंभव मदद देगी।
गुरुनानक इंटर कॉलेज से की पढ़ाई
दीपक नैनवाल ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई चुक्खूवाला स्थित गुरुनानक इंटर कॉलेज से की थी। 1982 में जन्मे दीपक 2001 में सेना में भर्ती हुए थे। 2011 में उनकी शादी हुई थी।
डाकरा में नानी के साथ हैं बच्चे
शहीद दीपक नैनवाल की छह वर्षीय बेटी समृद्धि और चार साल का बेटा वैभव डाकरा में नानी के साथ हैं। मां के पुणे जाने के बाद से बच्चे नानी के घर रह रहे हैं। दीपक के भाई प्रदीप महालेखाकार कार्यालय दून में कार्यरत हैं, वह भी पुणे गए हैं।