उत्तराखंड में संस्कृत भाषा में हो सरकारी कामकाज
देववाणी संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत भारती की ओर से प्रदेश भर में संस्कृत सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। 23 और 24 दिसंबर को देहरादून में सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें संस्कृत भाषा को...

देववाणी संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत भारती की ओर से प्रदेश भर में संस्कृत सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। 23 और 24 दिसंबर को देहरादून में सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें संस्कृत भाषा को आम बोल चाल और सरकारी कामकाज की भाषा बनाने पर जोर दिया जाएगा।
शुक्रवार को विश्व संवाद केंद्र में पत्रकारों से बातचीत में संस्कृत भारती के पश्चिम यूपी और उत्तराखंड क्षेत्र प्रचार प्रमुख डॉ. बुद्धदेव शर्मा ने कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा की वाणी है। इसमें ज्ञान विज्ञान, कला, साहित्य, संस्कृति और भारतीय सभ्यता के विविध आयाम समाहित है। भारत को यदि समझना है तो संस्कृत को समझना होगा। उत्तराखंड सरकार को इस भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया है। सरकारी कामकाज में भी संस्कृत का प्रयोग होना चाहिए।
संस्कृत भारती संस्कृत को बढ़ावा देने सम्मेलनों का आयोजन कर रही है। उत्तराखंड के 13 जनपदों 16 स्थानों पर सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। 23 और 24 दिसंबर को गोवर्धन सरस्वती विद्या मंदिर धर्मपुर में सम्मेलन होगा। 23 को संस्कृत विज्ञान और संस्कृत वस्तु प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी। 24 को संस्कृत शोभा यात्रा, मंचीय कार्यक्रम होंगे। इस मौके पर संस्कृत भारती के महानगर संयोजक नागेंद्र व्यास, कार्यक्रम संयोजक योगेश कुकरेती, व्यवस्था प्रमुख देवीलाल प्रजापति, शिल्पा चौहान, विश्व संवाद केंद्र के निदेशक विजय, बलवीर सिंह आदि मौजदू रहे।
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