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सरकारी जमीन कब्जाने वालों पर चोट, 2517 लोगों का वोटर लिस्ट से नाम काटा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गढ़ी कैंट बोर्ड ने कब्जा करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की है। अतिक्रमण करने वाले 2517 लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए हैं। कैंट बोर्ड के इस कदम के बाद कब्जा करने वाले...

सरकारी जमीन कब्जाने वालों पर चोट, 2517 लोगों का वोटर लिस्ट से नाम काटा
देहरादून, महेश्वर प्रसाद सिंहSat, 17 Mar 2018 01:09 PM
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गढ़ी कैंट बोर्ड ने कब्जा करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की है। अतिक्रमण करने वाले 2517 लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए हैं। कैंट बोर्ड के इस कदम के बाद कब्जा करने वाले लोग न तो कैंट बोर्ड के चुनाव ही लड़ पाएंगे और न वोट कर पाएंगे। 

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया कि कैंट बोर्ड क्षेत्र में रह रहे कब्जाधारियों को वोटर लिस्ट से बाहर किया जाए। इसके बाद कैंट बोर्ड ने अपने क्षेत्र में वोटर लिस्टों का सत्यापन अभियान चलाया। कैंट बोर्ड के सीईओ जाकिर हुसैन ने बताया कि अभियान में 2517 ऐसे लोग मिले, जिनको कैंट बोर्ड ने मकान नंबर आवंटन नहीं किया है। बावजूद ये लोग अवैध अतिक्रमण कर यहां रह रहे हैं। जिनको वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। यह आदेश सभी छावनियों के लिए है। बोर्ड की इस सख्त कार्रवाई से क्षेत्र  में खलबली मच गई है। 

केहरी गांव और प्रेमनगर कब्जाधारियों का गढ़ 

कैंट बोर्ड के सीईओ जाकिर हुसैन ने बताया कि वोटर लिस्ट के सत्यापन के दौरान यह पता चला कि सबसे ज्यादा अतिक्रमणकारी केहरी गांव व प्रेमनगर में रहते हैं। जिनको वोटर लिस्ट से बाहर किया गया है। उन्होंने बताया कि केहरी गांव प्रतिबंधित क्षेत्र है। बावजूद यहां लोगों ने अवैध निर्माण किया है। जिनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।

आने वाले समय में होगी बड़ी कार्रवाई

जिन मतदाओं को कैंट बोर्ड की वोटर लिस्ट से बाहर करते हुए उनका मत देने का अधिकार छिना है, भविष्य में इन लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हो सकती है। सीईओ ने बताया कि कैंट बोर्ड अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करेगा। इसके लिए लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। 

नगर निगम के लिए भी सबक 

अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ कैंट बोर्ड ने जो कार्रवाई की है, इससे नगर निगम को भी सीख लेने की जरूरत है। नगर निगम क्षेत्र में भी अवैध कब्जाधारियों की कमी नहीं है। निगम की ओर से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं की जाती। इसके चलते ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। 

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