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उत्तराखंड में सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का हल्ला बोल, प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन- VIDEO

देहरादून से लेकर प्रदेश के हर जिले में कर्मचारियों ने आज सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। कर्मचारियों ने अपनी ताकत दिखाते हुए सातवें वेतनमान की विसंगति और ACP के मसले पर देहरादून समेत प्रदेश के सभी जिला...

उत्तराखंड में सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का हल्ला बोल, प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन- VIDEO
देहरादून, लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 18 May 2018 05:46 PM
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देहरादून से लेकर प्रदेश के हर जिले में कर्मचारियों ने आज सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। कर्मचारियों ने अपनी ताकत दिखाते हुए सातवें वेतनमान की विसंगति और ACP के मसले पर देहरादून समेत प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन किए। देहरादून परेड ग्राउंड में बड़ी संख्या में पहुंचे शिक्षक और कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सातवें वेतनमान की विसंगतियों पर सरकार को घेरा। साथ ही एसीपी की पूर्व की व्यवस्था लागू किये जाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। 

उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा से जुड़े अधिकांश संगठन शुक्रवार को सड़कों पर उतरे। राजधानी में जहां परेड ग्राउंड में कर्मचारी सरकार के खिलाफ हल्ला बोला, वहीं टिहरी, उत्तरकाशी, हरिद्वार, पौड़ी, रुद्रप्रयाग समेत सभी जिलों में भी सरकार को ताकत दिखाने के लिए धरने प्रदर्शन हुए। देखा जाए तो राज्य में बड़े कर्मचारी आंदोलन का आगाज हो गया है। ऐसा कोई कर्मचारी संगठन नहीं बचा है जो आंदोलन में शरीक न हो। कर्मचारियों के तेवर भी यूं ही तल्ख नहीं हैं। कर्मचारियों ने सोची समझी रणनीति के तहत आंदोलन के लिए यह वक्त चुना है। जल्द ही प्रदेश में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं। इसके मद्देनजर कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ सरकार की भी अपनी मुश्किलें हैं।

सरकार का तर्क है कि राज्य के आर्थिक हालात ऐसे नहीं हैं कि कर्मचारियों की सभी मांगें पूरी की जा सकें। मुख्य संयोजक ठाकुर प्रहृलाद सिंह, संयोजक सचिव रवि पचौरी ने कहा कि सरकार को पूरा मौका दिया गया। सातवें वेतनमान की विसंगति दूर करने, एसीपी की पूर्व व्यवस्था लागू करने की मांग सीएम से लेकर मुख्य सचिव तक से की लेकिन सिर्फ कोरे आश्वासन ही मिले। सरकार को चाहिए था कि वो वेतन-भत्ते तत्काल जारी करने के साथ ही विसंगतियों को दूर किए जाने को मुख्य सचिव के स्तर पर समिति का नये सिरे से गठन करती।

कर्मचारियों को एसीपी का पूर्व की व्यवस्था के तहत लाभ देती। आउटसोर्स कर्मचारियों को समान काम का समान वेतन व नियमितीकरण का लाभ देती। सरकार ने उल्टा आउटसोर्स कर्मचारियों के खिलाफ फैसला कर दिया। इन परिस्थितियों में समझौता कैसे किया जा सकता है? कर्मचारियों को पदोन्नति में शिथिलता का लाभ देने को कानून पढ़ाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नौकरशाहों को प्रमोशन में शिथिलता का लाभ दिया जा रहा है। ऐसे में आंदोलन शुरू किया गया है। 

हड़ताल से व्यवस्थाएं गड़बड़ाई

उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा के शुक्रवार के आंदोलन से प्रदेश में बिजली, पानी की सप्लाई सिस्टम गड़बड़ा गया है। आंदोलन में स्थायी और आउटसोर्स कर्मचारियों के शामिल होने से वैकल्पिक इंतजाम करने में भी दिक्कत हुई है। 
लाइनमैन, सब स्टेशन अफसर से लेकर फॉल्ट दूर करने तक का सिस्टम आउटसोर्स पर है। संविदा, उपनल, स्वयं सहायता समूह के कर्मचारी पावर सप्लाई सिस्टम संभाले रहते हैं। इसी तरह पेयजल में भी स्थायी व आउटसोर्स कर्मचारियों के आंदोलन पर जाने से पूरा सिस्टम ठेकेदारों के भरोसे रहेगा। राज्य में देहरादून समेत कुछ पहाड़ी जिलों में तो सप्लाई सिस्टम ठेकेदारों के पास है। हरिद्वार, यूएसनगर, नैनीताल में पूरा सिस्टम स्थायी कर्मचारियों के ही हाथ में है। 

संयुक्त मोर्चा   

मोर्चा में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, राज्य निगम कर्मचारी महासंघ, उत्तराखंड सचिवालय संघ, राजकीय शिक्षक संघ, प्राथमिक शिक्षक संघ, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, अशासकीय माध्यमिक शिक्षकोत्तर महासंघ, वन कर्मचारी महासंघ, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महासंघ, उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा, रोडवेज अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा, निकाय कर्मचारी महासंघ, राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ, अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संगठन, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ, उपनल कर्मचारी संघ शामिल हैं।

प्रमुख मांगें: 

पूरी सेवा में हर कर्मी को तीन प्रमोशन 
पूर्व की भांति एसीपी का लाभ 
चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को तीसरी एसीपी के रूप में 4200 ग्रेडपे 
सातवें वेतनमान के तहत सभी वेतन-भत्तों का लाभ 
सभी निगमों को सातवें वेतनमान के बकाया एरियर 
वेतन विसंगति का निस्तारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हो 
उपनल, आउटसोर्स, पीटीसी, संविदा कर्मियों का नियमितीकरण और तब तक न्यूनतम 15 से 28 हजार तक वेतन भुगतान 
यू हेल्थ कार्ड का लाभ राजकीय कर्मचारियों की तरह प्रदेश के शेष सभी कर्मचारियों को दिया जाए आदि।
शिक्षकों व कर्मचारियों को वाहन भत्ते का लाभ
वेतन समिति की पुनर्गठन रिपोर्ट को निरस्त किया जाए
जिला पंचायत कर्मचारियों को राजकीय कर्मचारी घोषित किया जाए
वाहन चालकों के लिए स्टापिंग पैटर्न के तहत प्रोन्नत वेतनमान ग्रेड वेतन व्यवस्था संशोधित करते हुए पूर्व की तरह की जाए
तबादला एक्ट में 50 वर्ष की उम्र पूरी कर चुकी महिला कर्मचारियों को छूट दी जाए
पुरानी पेंशन का लाभ 

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