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नगर निगम चुनाव नवंबर तक कराना मुश्किल,अब परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया फिर से होगी

हाईकोर्ट की डबल बैंच की ओर से देहरादून के 60 गांवों को फिर से देहरादून नगर निगम की सीमा से बाहर करने संबंधित आदेश के बाद पैदा परिस्थितियों के चलते निकाय चुनाव अब चार नवंबर तक भी संभव नजर नहीं आ रहे...

नगर निगम चुनाव नवंबर तक कराना मुश्किल,अब परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया फिर से होगी
लाइव हिन्दुस्तान टीम,देहरादून Thu, 30 Aug 2018 05:33 PM
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हाईकोर्ट की डबल बैंच की ओर से देहरादून के 60 गांवों को फिर से देहरादून नगर निगम की सीमा से बाहर करने संबंधित आदेश के बाद पैदा परिस्थितियों के चलते निकाय चुनाव अब चार नवंबर तक भी संभव नजर नहीं आ रहे हैं।  अब परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया फिर से होगी। वार्डवार तैयार मतदाता सूची पर भी इसका असर पड़ेगा। नई मतदाता सूची तैयार करनी होगी। ऐसे में निकाय चुनाव कब होंगे इस पर अब असमंजस और गहरा गया है। प्रदेश के निकाय चार मई से प्रशासकों के हवाले हैं। प्रशासक अधिकतम छह महीने ही निकाय संभाल सकते हैं। ऐसे में सरकार के सामने तीन नवंबर तक चुनाव कराने की मजबूरी है, लेकिन हाईकोर्ट के ताजा आदेश के बाद जो हालात बन रहे हैं, उसके अनुसार अब इस डेडलाइन तक भी चुनाव संभव नजर नहीं आ रहे हैं। कारण देहरादून में यदि पुराने स्वरूप में चुनाव होते हैं तो भी पुराने वार्डों को बहाल करने के साथ ही वार्ड वार वोटर लिस्ट बनाने में एक महीने से अधिक समय लगेगा। फिर सरकार को साठ वार्ड में आरक्षण घोषित करते हुए हुए आपत्तियों की सुनवाई करते हुए, आरक्षण फाइनल करना होगा। इस पूरी प्रक्रिया में तीन महीने का समय लग सकता है। इस बीच तीन नवंबर की डेडलाइन निकलनी तय है। ऐसे में निकाय चुनाव लंबे समय के लिए टल सकते हैं।  उधर  नगर निगम के सीमा विस्तार में शामिल हुए  72 गांवों को अब शहरी योजनाओं को लाभ भी नहीं मिल पाएगा। 
मेयर का आरक्षण भी होगा प्रभावित 
देहरादून नगर निगम का स्वरूप बदलने से प्रदेश में मेयरों का आरक्षण भी प्रभावित हो सकता है। कारण आरक्षण का निर्धारण जातीय जनगणना के आधार पर होता है। नए शामिल गांवों को देहरादून से बाहर निकालने पर देहरादून नगर निगम क्षेत्र के जातीय आंकड़े बदल जाएंगे। इससे मेयर का आरक्षण भी बदलने के पूरे आसार हैं। पूर्व में घोषित आरक्षण में सरकार ने देहरादून को सामान्य श्रेणी में रखा हुआ है। देहरादून में यदि मेयर की कुर्सी सामान्य से आरक्षित होती है तो फिर पूरे प्रदेश भर के नगर निगमों में मेयर आरक्षण का क्रम बदल जाएगा। 
आदेश 60 का और शामिल किए  72 गांव 
हाईकोर्ट ने बुधवार को जारी आदेश में नए शामिल साठ गांवों को नगर निगम से बाहर करने के आदेश दिए हैं। हालांकि सरकार ने 60 नहीं, 72 गांवों को नगर निगम में शामिल किया है। हालांकि गांवों को शामिल करने का मामला पहले भी कोर्ट में उठ चुका है। पहले सिंगल बैंच ने इन गांवों को नगर निगम से बाहर करने के आदेश दिए थे, जिसके खिलाफ सरकार डबल बैंच में गई थी, जहां सरकार के पक्ष में फैसला आया था। अब फिर डबल बैंच ने इस मामले में सरकार को झटका दे दिया है।

हाईकोर्ट का आदेश अभी प्राप्त नहीं हुआ है। इस मामले में हाईकोर्ट की अलग अलग बैंच के पहले भी आदेश हैं। अब नया आदेश किस संदर्भ में है यह देखना पड़ेगा। चुनाव कब होंगे इस पर भी तमाम हालात पर विचार करने के बाद ही कुछ कहना संभव होगा। 
आरके सुधांशु, सचिव शहरी विकास 

राज्य निर्वाचन आयोग भी रक्षात्मक मुद्रा में 
निकाय चुनाव पर असमंजस के बीच राज्य निर्वाचन आयोग का रुख सरकार के लिए खासा राहत भरा है। नए राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर की ताजपोशी के बाद आयोग सरकार के साथ पूरी तरह सहयोगात्मक रुख अपना चुका है। जबकि निवर्तमान राज्य निर्वाचन आयुक्त सुवर्द्धन ने चुनाव कराने को निर्वाचन आयोग का पहला कर्तव्य मानते हुए चुनाव की मांग को लेकर हाईकोर्ट में तक केस दायर कर दिया था। तब सरकार को खासी किरकिरी का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब राज्य निर्वाचन आयोग के रक्षात्मक रवैये से भी प्रदेश में निकाय चुनाव कराने को लेकर कोई पहल होती नजर नहीं आ रही है। 

 

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