
दृष्टि आई इंस्टीट्यूट 10 वर्षों से लेजर-सहायता प्राप्त सर्जरी में अग्रणी प्रयासों के लिए विख्यात: लूथरा
संक्षेप: महत्वपूर्ण--फोटो... देहरादून, वरिष्ठ संवाददाता। दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक और मोतियाबिंद सर्जन प्रमुख डॉ.
दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक और मोतियाबिंद सर्जन प्रमुख डॉ. गौरव लूथरा ने कहा कि दृष्टि नेत्र संस्थान न केवल अपनी शल्य चिकित्सा क्षमताओं के लिए, बल्कि पिछले 10 वर्षों से लेजर-सहायता प्राप्त सर्जरी में अपने अग्रणी प्रयासों के लिए भी विख्यात है। यह देहरादून का पहला संस्थान है जिसने आईस्टेंट और न्यूनतम इनवेसिव ग्लूकोमा सर्जरी (एमआईजीएस) जैसे उन्नत ग्लूकोमा सर्जरी विकल्प पेश किए हैं। शनिवार को मोतियाबिंद सर्जरी सत्र का आयोजन किया, जिसे सर्जिनर नाम दिया गया। आयोजन का नेतृत्व दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक और मोतियाबिंद सर्जन प्रमुख डॉ. गौरव लूथरा ने वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ज्ञानेंद्र वी. सिंह और डॉ. अमरदीप कौर के साथ किया।
आयोजन में उच्च-परिभाषा वीडियो स्ट्रीमिंग के माध्यम से आम जनता को जटिल शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं की अभूतपूर्व जानकारी भी प्रदान की। सर्जिनर का दृष्टि के ऑपरेशन थिएटरों से अखिल भारतीय नेत्र रोग विशेषज्ञ सोसाइटी (एआईओएस) के 33,000 से अधिक सदस्य नेत्र शल्य चिकित्सकों के लिए सीधा प्रसारण किया गया, जिसमें प्रतिष्ठित नेत्र रोग विशेषज्ञों द्वारा की गई जटिल शल्य चिकित्साओं की एक श्रृंखला प्रदर्शित की गई। कहा कि उनकी सामूहिक विशेषज्ञता को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों द्वारा उन्नत किया गया, जिसमें एआई-सहायता प्राप्त, छवि-निर्देशित रोबोटिक सर्जरी भी शामिल है, जो मोतियाबिंद उपचार में एक महत्वपूर्ण छलांग है। कार्यक्रम में इस क्षेत्र के दिग्गजों से युक्त एक विशेषज्ञ पैनल शामिल था, जिसमें नई दिल्ली स्थित एम्स के आरपी सेंटर में नेत्र विज्ञान की प्रोफेसर और एआईओएस वैज्ञानिक समिति की अध्यक्ष डॉ. नम्रता शर्मा, एलवी प्रसाद नेत्र संस्थान, हैदराबाद की वरिष्ठ सर्जन और निदेशक डॉ. मेरले फर्नांडीस भी शमिल थीं।

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