गढ़वाल के पांच पहाड़ी जिलों में अब देसी शराब भी बिकेगी
राज्य बनने के बाद पहली बार गढ़वाल के पांच पर्वतीय जिलों में देसी शराब बिकेगी। सरकार ने नई आबकारी नीति में इसका प्रावधान कर दिया है। इसमें सरकार ने कंपोजिट लाइसेंस की व्यवस्था की है। यानी एक ही दुकान...
राज्य बनने के बाद पहली बार गढ़वाल के पांच पर्वतीय जिलों में देसी शराब बिकेगी। सरकार ने नई आबकारी नीति में इसका प्रावधान कर दिया है। इसमें सरकार ने कंपोजिट लाइसेंस की व्यवस्था की है। यानी एक ही दुकान में देसी और अंग्रेजी शराब की बिक्री की जा सकेगी।
80 के दशक में गढ़वाल के इन पांच जिलों में बड़े आंदोलन के बाद देसी शराब की बिक्री बंद हो गई थी। राज्य बनने के बाद इनमें देसी शराब कभी नहीं बिकी, लेकिन सरकार ने अब वहां के लिए विकल्प दे दिया है। अंग्रेजी शराब का कोई भी दुकानदार अब कंपोजिट लाइसेंस के तहत देसी शराब भी बेच सकेगा। इसके लिए उसे कंपोजिट लाइसेंस लेना होगा। हालांकि ये कंपोजिट लाइसेंस ग्रामीण इलाकों में दिए जाने का प्रावधान नई नीति में किया गया है। लेकिन इन पांच पहाड़ी जिलों में ज्यादातर इलाके ग्रामीण ही हैं, ऐसे में वहां आसानी से कंपोजिट लाइसेंस मिल सकेगा।
बार्डर पर एक घंटा अधिक समय तक बिकेगी शराब: नई नीति में देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल के यूपी, हिमाचल या अन्य राज्यों से लगे बार्डर पर निर्धारित समय से एक घंटा अधिक समय तक शराब बेचने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत इन चार जनपदों में दूसरे राज्यों के बार्डर से 10 किलोमीटर तक जो भी दुकानें होंगी, वे सुबह 10 बजे से रात 11 बजे तक खुलेंगी। आबकारी आयुक्त पंत ने बताया कि बार्डर पर तस्करी रोकने के लिए एक घंटा ज्यादा शराब बेचने की अनुमति दी है।
डीएम और जिला आबकारी अधिकारी करेंगे तय
आबकारी आयुक्त युगल किशोर पंत का कहना है कि नई नीति में कंपोजिट लाइसेंस देने का प्रावाधान किया गया है। जिसके तहत एक ही दुकान में देसी, विदेशी और अंग्रेजी शराब बिक सकेगी। पहाड़ों पर भी कोई अगर अंग्रेजी शराब की दुकान में देसी बेचना चाहता है तो बेच सकता है। ये हर जिले के डीएम और जिला आबकारी अधिकारी को तय करना है कि कहां देसी शराब बेची जा सकती है।