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राजधानी में सफाई व्यवस्था ठप, लोग बोले- देहरादून पर ये दाग अच्छे नहीं

शहर में हर तरफ गंदगी के ढेर लगे हैं। नगर निगम के सफाई कर्मचारी दस दिन से हड़ताल पर हैं। सियासी दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है और शहर बदहाल है। इस सबके बीच आपके अपने अखबार...

राजधानी में सफाई व्यवस्था ठप, लोग बोले- देहरादून पर ये दाग अच्छे नहीं
देहरादून, लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 17 May 2018 07:51 PM
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शहर में हर तरफ गंदगी के ढेर लगे हैं। नगर निगम के सफाई कर्मचारी दस दिन से हड़ताल पर हैं। सियासी दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है और शहर बदहाल है। इस सबके बीच आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने बुधवार को जीएमएस रोड स्थित कार्यालय में शहर के मौजूदा हालात पर ‘संवाद’ का आयोजन किया। इसमें शहर में सफाई की हालत को सुधारने के मसले पर विस्तार से चर्चा हुई।

‘हिन्दुस्तान’ के जीएमएस रोड स्थित कार्यालय में बुधवार को आयोजित ‘संवाद’ में प्रमुख राजनैतिक पार्टियों के साथ ही रेजीडेंट वेलफेयर सोसाइटी, स्वच्छता अभियान में काम करने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मौजूदा हालात से निपटने पर चर्चा हुई। भाजपा-कांग्रेस समेत राजनैतिक दल जहां आरोप-प्रत्यारोप से बाहर नहीं निकल पाए। वहीं रेजीडेंट वेलफेयर सोसाइटी और स्वच्छता अभियान में हाथ बंटाने वाले संगठनों ने जरूर राह दिखाई। कहा कि हड़ताल आज नहीं तो कल खत्म होगी, लेकिन दून शहर सफाई के प्रति जागरूक करने के न सिर्फ प्रयास करने होंगे, बल्कि अगले 10-15 साल के लिए ठोस योजना बनानी होगी। इसके लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे, ताकि प्राकृतिक तौर पर खूबसूरत शहर को कूड़े के ढेर में तब्दील होने से बचाया जा सके।

चर्चा की शुरुआत करते हुए मैड संस्था के संस्थापक अभिजय नेगी ने कहा कि बात हड़ताल की नहीं है, हमारा सिस्टम दून में पैदा हो रहे कूड़े के निस्तारण के लिए कभी भी सक्षम नहीं रहा है। स्वच्छता अभियान को लेकर तमाम जागरूकता अभियान चले हैं, लेकिन जिस वक्त शहर को सफाई करने वालों की जरूरत है, ऐसे अभियान चलाने वाले लोग नदारद हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अनुज नेगी ने सवाल उठाया कि आखिर हड़ताल की नौबत क्यों आई। क्या राजनैतिक सिस्टम इस हालात को समझने में नाकाम रहा है। आप नेता उमा सिसौदिया ने कहा कि हमारे नेतृत्व को ऐसे मामलों में संवेदनशील रहना चाहिए, क्योंकि जो कर्मचारी सालों से सेवाएं दे रहे हैं, उनकी मांगों पर कहीं भी गौर नहीं किया जा रहा है। 

कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने हालात के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि दस साल तक नगर निगम में भाजपा का बोर्ड रहा और पिछले एक साल से यहां ट्रिपल इंजन की सरकार थी। लेकिन न शहर को साफ रखने की मंशा दिखाई और न कर्मचारियों के हक में फैसले लिए। भाजपा नेता पुनीत मेहता ने कहा कि यह वक्त राजनीति करने का नहीं है, बल्कि समस्या का समाधान निकालने का है। इसमें दूनवासियों को अपने स्तर पर पहल करनी होगी। 

पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि कांग्रेस सरकार के वक्त नगर निगम को काफी संसाधन दिए गए, लेकिन उनका उपयोग नहीं किया गया। 20 करोड़ रुपये की एफडी कर दी गई, लेकिन कर्मचारियों को वेतन देने और शहर को साफ करने के लिए बजट नहीं है। भाजपा प्रदेश मंत्री सुनील उनियाल गामा ने कहा कि भाजपा और सरकार दोनों ही पूरे मामले पर संवेदनशील तरीके से काम कर रही हैं। हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता की जा रही है। अब इसमें राजनीति की जाएगी तो मामला उलझेगा। हम अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं और कामयाब भी होंगे।

रेजीडेंट वेलफेयर सोसाइटी (आरडब्ल्यूएस) के अध्यक्ष डा.महेश भंडारी ने कहा कि आरडब्ल्यूएस काफी हद तक स्थिति को संभाल रही है। कूड़े के ढेर सिर्फ मुख्य सड़कों पर नजर आ रहे हैं, ऐसे कॉलोनियों में अभी तक ऐसी नौबत नहीं आई है, क्योंकि इन कॉलोनियों में रेजीडेंट वेलफेयर सोसाइटी अपने स्तर पर सफाई व्यवस्था संभालती आ रही हैं। भाजपा मंडल महामंत्री अनिल डबराल ने कहा कि हड़ताल की वजह से जगह-जगह बनी गंदगी को देखते हुए निवर्तमान पार्षद भी सफाई अभियान में लगे हैं।  लोगों को भी खुद मैदान में उतरना चाहिए।  भाजपा युवा मोर्चा ने हाल ही में एफआरआई के पास अभियान चलाकर सफाई की थी। 

बेबाकी से रखी राय 

दस साल नगर निगम भाजपा के हवाले था, लेकिन नागरिक सुविधाओं का अभाव है।  तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय में नगर निगम को गाड़ियां तक दी गईं, लेकिन इसका उपयोग सफाई व्यवस्था में ठीक से नहीं हुआ। हालत यह है कि अगर एक गाड़ी में पंक्चर हो जाए तो वह भी ठीक नहीं करायी जाती है।  नगर निगम ने 20 करोड़ की एफडी बनायी है, तो क्या निगम इस एफडी से कर्मचारियों को वेतन नहीं दे सकता।  नगर निगम में 18 ग्राम सभाएं शामिल की गई थीं, उनकी समस्याएं दूर नहीं हुई हैं।  अब सीमा विस्तार करके सौ वार्ड बनाए जा रहे हैं। सफाई व्यवस्था को ठीक करने के लिए तीन हजार सफाई कर्मचारियों की जरूरत है। 
-राजकुमार, पूर्व विधायक राजपुर रोड

नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल काफी लंबे समय से चल रही है।  हड़ताल से कूड़े के ढेर जगह-जगह दिखायी दे रहे हैं, लेकिन इससे निपटने को प्रशासन की भूमिका निल ही दिखी है।  इस समय चारधाम यात्रा का सीजन है।  विभिन्न राज्यों से यात्री उत्तराखंड में आ रहे हैं।  ऐसे समय में बाहर से यात्री देहरादून आकर जगह-जगह कूड़े के ढेर देखेंगे तो क्या संदेश लेकर जाएंगे।  कुल मिलाकर इससे राज्य की छवि पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। गली से लेकर मोहल्लों में कूड़े के ढेर  हैं।  इससे जाहिर है कि लोगों के बीच सरकार की कैसी छवि बनी होगी। लोगों की समस्या का समाधान करने के लिए इस पर ठोस पहल की जरूरत है। 
- अनुज शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता

सफाई व्यवस्था शहर का मुद्दा है न कि राजनैतिक मुद्दा। हड़ताल राजनैतिक मुद्दा नहीं बननी चाहिए।  जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने नगर निगम को सफाई के संसाधन उपलब्ध कराए तो उस वक्त उसका उपयोग क्यों नहीं किया गया।  हमने शहरी विकास मंत्री से कर्मचारियों की वार्ता करायी।  मंत्री ने सभी मांगे पूरा करने को चार दिन का समय मांगा था, लेकिन कर्मचारी इस बात को नहीं माने। अगर इस मुद्दे पर गंभीर है तो तभी तो मंत्री ने हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता की।  गर्मी का सीजन है, इसलिए कर्मचारियों को अपना अड़ियल रुख छोड़ना होगा।  कर्मचारी हड़ताल खत्म कर दें तो एक घंटे में समाधान हो जाएगा। 
- सुनील उनियाल गामा, प्रदेश मंत्री भाजपा

सफाई व्यवस्था को राजनैतिक मुद्दा बनना ही चाहिए। राजनैतिक दल फिर किसके लिए हैं। राजनैतिक दलों की सोच नागरिकों की सुविधाओं के लिए होनी चाहिए। कैबिनेट टिहरी झील में चल रही है और शहर कूड़े के हाल में छोड़ दिया गया। आउटसोर्स कर्मचारियों को संविदा में करने का शासनादेश पूर्व सीएम हरीश रावत 22 नवंबर 2016 में कर चुके थे, लेकिन नगर निगम ने फाइल आगे नहीं बढ़ाई। सरकार निगम का दायरा बढ़ा रही है, लेकिन ढांचागत व्यवस्थाओं पर कोई बात नहीं कर रहा है। पिछले दस साल में एक भी सफाई कर्मचारी नहीं बढ़ाया गया। यह किसकी विफलता है। शहर के हालात के भाजपा जिम्मेदार है और कांग्रेस सफाई कर्मचारियों के साथ है। 
- सूर्यकांत धस्माना, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस

मेरा सुझाव है कि सफाई व्यवस्था व हड़ताल को राजनैतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। मौजूदा समय में शहर कूड़े के ढेर में बैठा हुआ है। नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की संख्या काफी कम है। आउटसोर्स कर्मचारियों की न्यूनतम वेतन की मांग जायज है।  सरकार को हठधर्मिता छोड़नी चाहिए।  हड़ताल में जाने से पहले कर्मचारियों ने  नोटिस दिया होगा।  सरकार ने सर्तकता क्यों नहीं दिखायी।  अब हड़ताल से शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लग गए हैं।  लोगों को भी सफाई कार्य में अपनी भागीदारी देनी होगी।  डालनवाला में उनकी सोसाइटी की ओर से कूड़े से खाद बनाने का काम किया जाता है।  ऐसा और सोसाइटियां भी कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए लोगों को जागरूक होना होगा। 
- डा. महेश भंडारी, अध्यक्ष दून रेजीडेंट्स वेलफेयर सोसायटी

दून की सफाई व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है।  प्रशासन की ओर से चल रही व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।  आखिर डबल इंजन की सरकार क्या कर रही है।  आज विधायक कहां हैं।  शहरी विकास मंत्री के पास समय नहीं है।  विधायकों के वेतन खूब बढ़ा दिए गए हैं, लेकिन जो न्यूनतम वेतन की मांग कर रहे हैं उनकी सुध नहीं ली जा रही है।  वहीं नेता क्या सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए अभियान चलाते हैं।  सुझाव है कि शहरी विकास मंत्री को सारे काम छोड़कर हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता कर उनकी समस्या का समाधान करना चाहिए। अगर हड़ताल नहीं टूटी तो बीमारी फैलने की आशंका है। समस्या के समाधान के लिए सरकार को जल्द कोई कदम उठाना चाहिए। 
- जगदीश धीमान, निवर्तमान पार्षद

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल पर सरकार ताशानाही वाला रवैया अपना रही है।  नगर निगम प्रशासन ने 164 कर्मचारियों को काम से हटा दिया।  सरकार को बेसिक समस्या समझनी होगी।  मुख्यमंत्री, शहरी विकास मंत्री को कर्मचारियों से बैठक करके समस्या का समाधान निकालना चाहिए।  भाजपा दलितों के साथ खाने की बात करती है। भाजपा स्वच्छ भारत अभियान की बात करती है, लेकिन आज दलित प्रेम कहां चला गया है, स्वच्छ भारत अभियान कहां है।  सरकार ने विधायकों का वेतन बढ़ा दिया फिर आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा। सीएम को कैबिनेट की आपातकालीन बैठक बुलाकर मांग को पूरा करना चाहिए। 
- उमा सिसौदिया, आप नेता

सफाई के प्रति लोगों को जागरूक होना चाहिए।  हड़ताल से जो समस्या बनी है, ऐसे समय में मोहल्ले के लोगों को खुद सफाई कार्य में भागीदारी देनी चाहिए।  अगर कहीं दिक्कत आ रही तो क्षेत्र के निर्वतमान पार्षद से लेकर सुपरवाइजर की मदद ली जा सकती है।  हड़ताल अलग विषय है, लेकिन आगे सफाई व्यवस्था बेहतर हो इसके लिए बेहतर प्लानिंग बनानी होगी। नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है। साथ ही ऐसी स्थितियों में हेल्प लाइन नंबर भी होने चाहिए।  सरकार को इस समय हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता करनी चाहिए, ताकि पिछले दस दिन से हड़ताल कर रहे कर्मचारियों की मांग पूरी की जा सके। 
- अभिजय नेगी, संस्थापक मैड संस्था

हड़ताली कर्मचारियों की मांग जायज है। अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव चाहें तो दिन में शासनादेश लेकर कर्मचारियों की मांग को पूरा कर दें।  कई बार देखा गया है कि सरकार हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली जाती है।  तो फिर हड़ताली कर्मचारियों के मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गई। सफाई नियमित काम है और जिस तरह से शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर हैं, उससे निपटना सामाजिक संस्थाओं के बस की बात भी नहीं है।  हड़ताल के लिए जिम्मेदार अफसरों का निलंबन होना चाहिए।  इस मामले में नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आयी है। इतने दिन से कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है लेकिन ठोस पहल क्यों नहीं हुई।
- सुशील त्यागी, महासचिव, संयुक्त नागरिक संगठन

नगर निगम के कर्मचारी पिछले दस दिन से हड़ताल में हैं जिस कारण समस्या बनी हुई है।  ऐसे में लोगों को खुद ही अभियान चलाना चाहिए।  उनके स्तर पर ब्रह्मपुरी में अभियान चलाकर दो ट्राली कूड़ा निकालकर भिजवाया गया।  पिछले दस साल में इस तरह की हड़ताल नहीं हुई।  हुई भी तो वह सांकेतिक रही।  सरकार मामले पर गंभीर है।  इसलिए शहरी विकास मंत्री ने हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता की। सरकार इस मामले पर जल्द ही कोई ठोस कदम उठाएगी और जल्द ही समाधान होगा।  लोगों को भी अपने मोहल्लों में सफाई अभियान चलाना चाहिए, ताकि गर्मी के इस सीजन में कूड़े से बन रही दिक्कतों को दूर किया जा सके। 
- सतीश कश्यप, निवर्तमान पार्षद

शहर में सफाई के मुद्दे पर विपक्ष हमलावर 

देहरादून में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से शहर परेशान हो रहा है।  इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।  विपक्ष इस मु्द्दे पर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। विपक्ष तो यह कह चुका है कि मांग पूरी न होने तक हड़ताल को कमजोर नहीं होने दिया जाएगा यानी विपक्ष को इस मुद्दे में राजनीति करने का एक मौका मिल गया है। 

चमोली पर निशाना 

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल व शहर की सफाई व्यवस्था के लिए विपक्ष ने निवर्तमान मेयर व धर्मपुर विधायक विनोद चमोली पर भी निशाना साधा है। कांग्रेसियों के मुताबिक दस साल तक नगर निगम चमोली के हवाले रहा, लेकिन उनकी ओर से सफाई व्यवस्था में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय में हुए जीओ का क्रियान्वयन चामेली नहीं करा पाए। 

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