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बाल आयोग ने कहा एनआईवीएच छात्रों के मोबाइल प्रयोग पर लगाए प्रतिबंध

एनआईवीएच के अधिकारियों को बुधवार को उत्तराखंड बाल आयोग के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। आयोग की टीम यहां एक दिव्यांग छात्र के साथ हुए कुकर्म मामले की जांच पड़ताल करने पहुंची थी। पूछताछ के दौरान...

बाल आयोग ने कहा एनआईवीएच छात्रों के मोबाइल प्रयोग पर लगाए प्रतिबंध
हिन्दुस्तान टीम,देहरादूनWed, 18 Sep 2019 05:21 PM
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एनआईवीएच के अधिकारियों को बुधवार को उत्तराखंड बाल आयोग के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। आयोग की टीम यहां एक दिव्यांग छात्र के साथ हुए कुकर्म मामले की जांच पड़ताल करने पहुंची थी।

पूछताछ के दौरान आयोग ने जहां पिछले सभी मामलों की रिपोर्ट तलब की। वहीं संस्थान के भीतर दिव्यांग छात्रों के मोबाइल प्रयोग करने पर भी प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए।

इससे पहले बुधवार दोपहर 12.40 बजे बाल आयोग अध्यक्ष उषा नेगी और सहयोगी सदस्यों ने एनआईवीएच के निदेशक प्रो. नचिकेता राउत, स्कूल प्रधानाचार्य डा. गीतिका माथुर और अन्य अधिकारियों से घटना से जुड़े कई पहलुओं को लेकर करीब एक घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान संस्थान के अधिकारी कई सवालों का जवाब देने में झेंप गए। तो कई बार जुबान भी फिसली। बाल आयोग ने सख्त रवैया अपनाते हुए संस्थान के भीतर हुई इस घटना पर कड़ा एतराज जताया। साथ ही मामले को लेकर सामने आ रही लापरवाही पर भी अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई।

बता दें संस्थान के एक दिव्यांग छात्र ने 11 सितंबर की रात अपने साथ हुए कुकर्म की घटना संस्थान प्रशासन को बताई थी। जिसके बाद संस्थान में हड़कंप मच गया। मामला पुलिस तक पहुंचा तो संस्थान ने कार्रवाई करते हुए अपने ही संस्थान के एक आरोपी छात्र को स्कूल और संस्थान से निष्कासित कर दिया।

- छात्र के निष्कासन पर उठाए सवाल

उत्तराखंड बाल आयोग की टीम ने एनआईवीएच से निष्कासित किए गए छात्र को लेकर संस्थान की कार्रवाई पर सवाल उठाए। बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने अधिकारियों से कहा कि छात्रों को सुधारने का यह कौन सा तरीका है। जिस छात्र को निष्कासित किया गया है वह इस घटना से भविष्य में अच्छा इंसान बनेगा या गुनहगार क्या इस बारे में गहराई से सोचा गया। नेगी ने अधिकारियों से पूछा कि निकाले जाने से पूर्व क्या छात्र को बिठाकर उसकी तरीके से काउंसलिग की गई थी? इस पर अधिकारी झेंप गए।

- मोबाइल की इजाजत क्यों?

बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने पूछताछ के दौरान निदेशक प्रो. नचिकेता राउत से कहा कि ऐसी क्या मजबूरी है जो संस्थान में छात्रों को खुलेआम मोबाइल प्रयोग करने की इजाजत दी जा रही है। अच्छा होता संस्थान छात्रों के मोबाइल से आपत्ति जनक साइट हटाकर उन्हें इसका प्रयोग करने देते। आयोग ने कहा कि ऐसी कई साइटें हैं जिन्हें देखकर छात्र हिंसक प्रवृति के हो रहे हैं।

- मामले दबाकर क्यों रखे गए

मैराथन पूछताछ के दौरान उत्तराखंड बाल आयोग ने एनआईवीएच प्रशासन की ओर से कई मामलों को दबाए रखने पर भी नाराजगी जताई। अध्यक्ष उषा नेगी ने सवाल उठाते हुए कहा कि वह पूर्व में भी एक मामले की छानबीन करने संस्थान पहुंची थी। तभी अधिकारियों से कह दिया गया था कि ऐसे जितने भी मामले हैं उनकी रिपोर्ट आयोग को भेजी जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नेगी ने सख्त लहजे में कहा कि इस घटना से लेकर पूर्व में जितने भी मामले हुए हैं संस्थान उसकी एक पूरी रिपोर्ट बनाकर आयोग को शीघ्र भेजे।

- आयोग ने ये सुझाव दिए संस्थान को

छात्रों के मोबाइल प्रयोग को बंद किया जाए। दिन में मात्र एक घंटा मोबाइल प्रयोग के लिए निर्धारित किया जाए। छात्रों के मोबाइल प्रयोग के लिए एक टीम गठित की जाए। जो इस पर नजर रखेगी। छात्रों को इतिहास, आजादी, संस्कृति, नाना नानी अथवा दादा दादी से जुड़ी कहानियां अथवा घटनाक्रम सोने से पूर्व सुनाए जाएं। ऐसे छात्र जिनमें सुधार की गुंजाइश है उनकी रोजाना काउंसलिंग की जाए। उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ कर सुधरने का मौका दिया जाए।

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