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उत्तराखंड: स्कूल बसों में नहीं सुरक्षित हैं बच्चे, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी उत्तराखंड में स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। आयोग ने पाया कि बगैर...

उत्तराखंड: स्कूल बसों में नहीं सुरक्षित हैं बच्चे, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
हिन्दुस्तान टीम,देहरादूनTue, 07 Nov 2017 11:19 AM
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी उत्तराखंड में स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। आयोग ने पाया कि बगैर परमिट बसों को स्कूलों में चलाया जा रहा है। जिसे अनट्रेंड ड्राइवर चला रहे हैं। बच्चों को लाने-ले जाने के लिए स्कूल स्टॉफ साथ नहीं रहता और महिला गार्ड और अटेंडेंट तक बसों में तैनात नहीं हैं। बाल आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूड़ी ने इस लापरवाही पर मुख्य सचिव से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। 

बाल आयोग ने की थी स्कूलों की जांच

मुख्य सचिव को लिखे पत्र में बाल आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूड़ी ने कहा है कि स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए थे। जिस पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सुझाव पर उत्तराखंड बाल आयोग ने राज्य के 20 स्कूलों का सर्वे किया था। जिसमें राज्य के दोनों मंडलों के 10-10 स्कूलों को शामिल किया गया। गढ़वाल मंडल में आयोग के सदस्य वाचस्पति सेमवाल और सीमा डोरा और कुमाऊं में ललित सिंह और डा.बसंत लाल आर्य ने खुद स्कूलों में जाकर व्यवस्था का जायजा लिया। जिसमें बड़े पैमाने पर खामियां पाई गईं। पर्वतीय क्षेत्रों में तो स्कूल बसें बगैर मानकों को पूरा कर चलाई जा रही हैं। 

स्कूल बसों में मिली खामियां

  • स्कूलों की ओर से हायर की गई निजी बसों पर न तो स्कूल बस लिखा गया है और उसका रंग किया गया है। 
  • इनमें कई बसें तो बगैर परमिट चल रही हैं और ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं मिला। बस कंडक्टर के पास बच्चों के नाम, पते और रुकने के प्वाइंट तक का विवरण उपलब्ध नहीं रहता। 
  • स्कूल बस के ड्राइवर का नाम, बैच नंबर, स्कूल और बस मालिक का नाम, टेलीफोन नंबर और परिवहन विभाग के हेल्पलाइन नंबर तक नहीं लिखे हैं। ड्राइवर-कंडक्टर का पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं कराया जाता। 
  • स्कूल बसों में जीपीएस, सीसीटीवी, स्पीड गवर्नस और फायर उपकरण नहीं मिले। 
  • बस कंडक्टर के भी वैध लाइसेंस नहीं थे। बसों में महिला अटेंडेंट और महिला गार्ड तैनात नहीं हैं। 
  • बच्चों को परिवहन के दौरान स्कूल स्टॉफ की बस में कोई निगरानी नहीं पाई गई। 
  • बसों में पानी, अलार्म बेल, सायरन और इमरजेंसी में सचेत करने का कोई इंतजाम नहीं है। 
  • ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले ड्राइवर का चालान होने के बावजूद स्कूल बस चलाते मिले। 
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