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‘यशपाल बेनाम’ का साथ बना ‘भाजपा’ का सहारा

नगर पालिका पौड़ी की सीट पर पालिकाध्यक्ष के तौर पर तीसरी बार काबिज होने वाले यशपाल बेनाम को इस बार सियासी मायनों में सत्तारूढ़ बीजेपी के टिकट से चुनावी मैदान में उतरना फायदे का ही सौदा साबित हुआ। पिछली...

‘यशपाल बेनाम’ का साथ बना ‘भाजपा’ का सहारा
लाइव हिन्दुस्तान, पौड़ी। अनिल भट्टThu, 22 Nov 2018 04:49 PM
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नगर पालिका पौड़ी की सीट पर पालिकाध्यक्ष के तौर पर तीसरी बार काबिज होने वाले यशपाल बेनाम को इस बार सियासी मायनों में सत्तारूढ़ बीजेपी के टिकट से चुनावी मैदान में उतरना फायदे का ही सौदा साबित हुआ। पिछली दो जीतों में वोटों के लिहाज से बेनाम की यह सबसे बड़ी जीत भी रही।

2003 में बेनाम करीब एक हजार वोटों से जीत कर आए थे जबकि दूसरी बार 1400 से ही जीत दर्ज की। इस बार बीजेपी के टिकट पर लड़ने के बाद यह आंकड़ा 2603 तक पहुंच गया। बेनाम ने जहां पौड़ी सीट पर धमाकेदार जीत दर्ज की वहीं कांग्रेस और निर्दलीय के दुर्गों को भी ढहाने का काम किया। बीते निकाय चुनावों में कांग्रेस के खाते में दो हजार से अधिक मत गए थे लेकिन इस बार कांग्रेस को 1641 वोट ही मिल पाए। निकाय से लेकर विधानसभा चुनावों में अब तक निर्दलीय किस्मत अजमाने वाले यशपाल बेनाम पहली बार किसी राजनीतिक दल के टिकट से चुनावी मैदान में उतरे।

अब तक का सियासी सफर बेनाम ने निर्दलीय ही तय किया। दो पालिकाध्यक्ष के चुनावों से लेकर एक बार पौड़ी विधानसभा से विधायक उन्होंने निर्दलीय ही फतह किए। जबकि चौबट्टाखाल विधानसभा में भी उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा हालांकि इस चुनाव को हार गए थे। बीजेपी की बात करें तो एक उपचुनाव के बाद यह दूसरा मौका है जब बीजेपी पालिकाध्यक्ष की कुर्सी पर अपने प्रत्याशी को बिठा पाई हो। इससे पूर्व 2008 में हुए उप चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशी गणेश नेगी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। इसके बाद बीजेपी के लिए यह कुर्सी सियासी तौर पर दूर ही रही। अब निकाय चुनावों के परिणाम के बाद वोट बैंक को लेकर कांग्रेस की भी चिंताएं बढ़ा दी है।

बेनाम की टीम में सभी निर्दलीय
नवनिर्वाचित पालिकाध्यक्ष यशपाल बेनाम भले ही बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हो लेकिन उनकी टीम यानी पालिका के 11 वार्डों के सभासद सभी निर्दलीय हैं। हालांकि इन चुनावों में कांग्रेस ने पौड़ी के 11 वार्डों में से तीन पर टिकट दिए थे लेकिन जो तीन टिकट दिए भी थे उन पर भी कांग्रेस प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सके। बीजेपी ने वार्डों में टिकट देने से दूरी ही बनाई हुई थी। नव निर्वाचित सभासदों में अब किसी भी सभासद पर पार्टी का लेबल नहीं है। विक्रम सिंह और मकान दो ही ऐसे प्रत्याशी है जो पूर्व में पालिका में सभासद के तौर पर रहे हो। शेष अन्य 9 प्रत्याशी पहली बार चुनाव जीतकर पालिका में सभासद बने हैं।

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