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मकर संक्रांति : खत्म होगा खरमास पर शुभ कार्यों के लिए करना होगा इस दिन का इंतजार

14 जनवरी को दिन में एक बजकर चालीस मिनट पर वृष लग्न में सूर्य धनु राशि से मकर राशि पर प्रवेश करेगा। मकर राशि पर सूर्य का मिलन केतु के साथ 18 साल के बाद हो रहा है। इससे पूर्व यह संयोग 14 जनवरी 2000 में...

मकर संक्रांति : खत्म होगा खरमास पर शुभ कार्यों के लिए करना होगा इस दिन का इंतजार
देहरादून, लाइव हिन्दुस्तानThu, 11 Jan 2018 08:23 AM
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14 जनवरी को दिन में एक बजकर चालीस मिनट पर वृष लग्न में सूर्य धनु राशि से मकर राशि पर प्रवेश करेगा। मकर राशि पर सूर्य का मिलन केतु के साथ 18 साल के बाद हो रहा है। इससे पूर्व यह संयोग 14 जनवरी 2000 में बना था। मकर संक्राति के साथ ही खरमास की भी समाप्ति होगी और सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण आ जाएंगे। 

इस साल मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह सात बजकर बाइस मिनट से पूरे दिन रहेगा। 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि पर संक्रमण के साथ माघ कृष्ण त्रयोदशी तिथि मूल नक्षत्र वणिज करण ध्रुव योग, रविवार व मकर राशि पर तीन ग्रही योग-सूर्य, शुक्र, केतु का संचार रहेगा। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण रहेंगे और सूर्य की यह स्थिति छह माह तक कायम रहेगी।

उत्तरायण काल देवताओं का दिन माना जाता है। यूं तो उत्तरायण में शुभ मुहूर्त विवाह आदि प्रारंभ हो जाते हैं। लेकिन 15 दिसम्बर 2017 से एक फरवरी 2018 के मध्य शुक्रास्त होने से मुहूर्तों का अभाव अभी बना रहेगा। पांच फरवरी से शुक्र दोष खत्म होने के बाद ही विवाह मुहूर्त फिर से प्रारंभ हो जाएंगे। ज्योतिषाचार्य भरत राम तिवारी के अनुसार, शुक्रास्त न होता तो भी पौष मास यानि खरमास की वजह से 15 दिसम्बर 2017 से 13 जनवरी 2018 तक विवाह मुहूर्त पर ब्रेक है। 

शुक्रास्त
शुक्र 15 दिसम्बर 2017 को अस्त हुआ था व दो फरवरी 2018 को उदित होगा। चार फरवरी तक शुक्र का बालयत्व दोष रहेगा। इस अवधि में मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश यज्ञोपवीत, विवाह संस्कार, मूर्ति प्रतिष्ठा आदि नहीं किए जाते। विवाह मुहूर्त के लिए शुक्र ग्रह का बड़ा ही महत्व है। शुक्रास्त में विवाह करना दाम्पत्य सुख से वंचित कर सकता है। गर्भाधान से लेकर अन्न प्राशन तक ये सात संस्कार शुक्रास्त में किए जा सकते हैं। 

खिचड़ी खाने का विशेष महत्व 

मकर संक्रांति को खिचड़ी संक्रांति भी कहा जाता है। इस दिन हिन्दु धर्म में खिचड़ी खाने की मान्यता है। सूर्य का स्थान परिवर्तन प्रकृति का चक्रीय घटनाक्रम है। शरीर इस बदलाव को सहन कर सके। इसलिए खानपान में खिचड़ी को अहमियत दी गई है। वरिष्ठ फिजिशियन डा.प्रवीण पंवार के अनुसार मौसम व शरीर में बदलाव के हिसाब से ढलने के लिए मेडीकल साइंस में भी खिचड़ी खाने की सलाह दी जाती है।

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