नयी-नयी सी लगे धरा, नया-नया सा आकाश...
जीआईसी मार्ग में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुभाष चंद्र जोशी ने की। गोष्ठी में जिले भर के जनकवियों ने प्रतिभाग कर स्वरचित रचनाओं का बखान...
जीआईसी मार्ग में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुभाष चंद्र जोशी ने की। गोष्ठी में जिले भर के जनकवियों ने प्रतिभाग कर स्वरचित रचनाओं का बखान किया। बुधवार को आयोजित काव्य गोष्ठी में हिमांशु जोशी ने नयी-नयी सी लगे धरा, नया-नया आकाश... कविता पेश की। डॉ. विष्णु दत्त भट्ट ने लेशभर भी नहीं हो सकी साधना, स्वार्थ प्रेरित हुई मात्र आराधना.. भजन सुनाया। बबीता जोशी ने मैं नारी हू, सर्वशक्तिमान हूं, छाती से लगाकर बगीचे को सींचे मैं ही ऐसी माली हूं..., नीरज पंत ने उनकी आंखों में नयी नमी देखी है, मैने खुद में अपनी कमी देखी है..., प्रकाश बिनवाल ने चुपके-चुपके पायलिया उतार राधिके, चली आना तू जमुना के पार राधिके..., नेहा पंत ने सारे सपनों में रंग भरने लाई नन्ही परी थी इस जहां में..., डॉ. तिलक राज जोशी ने जीवन को नित गीत बनाकर, गाकर लोरी जाने कितने... कविता की प्रस्तुति दी। मौजूद दर्शकों ने कवियों की प्रस्तुति का खूब आनंद उठाया।