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भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं पूर्णागिरि मां

पूर्णागिरि मंदिर चम्पावत जिले के प्रवेशद्वार टनकपुर से 19 किमी दूर अन्नपूर्णा चोटी पर स्थित है। यह शक्तिपीठ मां भगवती के 108 सिद्धपीठों में से एक है। यहां आकर सच्चे मन से मां की पूजा-अर्चना करने वाले...

भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं पूर्णागिरि मां
हिन्दुस्तान टीम,चम्पावतTue, 01 Oct 2019 03:45 PM
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पूर्णागिरि मंदिर चम्पावत जिले के प्रवेशद्वार टनकपुर से 19 किमी दूर अन्नपूर्णा चोटी पर स्थित है। यह शक्तिपीठ मां भगवती के 108 सिद्धपीठों में से एक है। यहां आकर सच्चे मन से मां की पूजा-अर्चना करने वाले भक्त की मां सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मान्यता है कि जब भगवान शिवजी तांडव नृत्य करते हुए यज्ञ कुंड से सती के शरीर को लेकर आकाश गंगा मार्ग से जा रहे थे। इसी दौरान भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। देवी सती के अंग आकाश मार्ग से पृथ्वी के विभिन्न स्थानों में जा गिरे। जहां-जहां देवी सती के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए। मान्यता है कि पूर्णा पर्वत पर माता सती की नाभि गिरी। तब से यहां मां पूर्णागिरि मंदिर की स्थापना हुई। इस शक्तिपीठ में चैत्र नवरात्र में मेला लगता है। होली के तत्काल बाद शुरू होने वाले इस मेले में लाखों श्रद्धालु हर दिन मां के चरणों में शीश नवाते हैं। मान्यता है कि एक साधु ने मां पूर्णागिरि के उच्च शिखर पर पहुंचने की धृष्टता की तो मां ने क्रोधित होकर साधु को शारदा नदी के पार फेंक दिया। बाद में मां पूर्णागिरि ने साधु से कहा कि जो व्यक्ति मेरे दर्शन करेगा, तेरे दर्शन करने भी अवश्य आएगा। सिद्ध बाबा धाम नेपाल के ब्रह्मदेव में स्थित है। मां पूर्णागिरि दर्शन के बाद श्रद्धालु सिद्ध बाबा के दर्शन अवश्य करते हैं। प्रसिद्ध आखेट प्रेमी जिम कॉर्बेट ने 1929 में तल्लादेश क्षेत्र को आदमखोर बाघ के आतंक से निजात दिलाई थी। इसी दौरान जिम कार्बेट को मां पूर्णागिरि के प्रकाश पुंज के अद्भूत दर्शन हुए। इसका वर्णन उन्होंने अपनी पुस्तक टैम्पल टाइगर में किया है।

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