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चम्पावत के श्यामलाताल और जोल में मशरूम उत्पादन का काम शुरू

पलायन नहीं रोजगार मिशन के तहत चम्पावत के श्यामलाताल और जोल गांव में में मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू हो गया...

चम्पावत के श्यामलाताल और जोल में मशरूम उत्पादन का काम शुरू
हिन्दुस्तान टीम,चम्पावतSat, 14 Apr 2018 10:05 PM
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पलायन नहीं रोजगार मिशन के तहत चम्पावत के श्यामलाताल और जोल गांव में में मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू हो गया है। मशरूम की पहली फसल तैयार हो चुकी है। इन उत्पादों को टेस्टिंग के लिए लैब भेजा गया था, जहां से इसकी गुणवत्ता सही पाई गई है। अब तैयार किए गए मशरूम को दिल्ली की कंपनी के माध्यम से बिक्री के लिए यूरोप भेजा जाएगा। विधायक गहतोड़ी की कैलाश फाउंडेशन और महारथ संस्था ने दो माह पूर्व मशरूम उत्पादन के लिए सूखीढांग में प्लांट लगाया था। पलायन नहीं रोजगार मिशन के तहत महिलाओं को तीन दिन का मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद महिलाओं को समूह में बांटकर मशरूम उत्पादन के लिए जरूरी सामान और बीज उपलब्ध कराया गया। संस्था प्रमुख गणेश दत्त जोशी ने बताया कि फसल को लगाए हुए 45 दिन पूरे हो चुके हैं। फसल पूरी तरह तैयार है। तैयार फसल को टेस्टिंग के लिए पंतनगर लैब भेजा गया था, जहां से फसल को हरी झंडी मिल गई है। इसके बाद दिल्ली की कंपनी के जरिए मशरूम को यूरोप सहित भारत के बेंगलुरू, मुम्बई, केरल, गोआ, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, गुजरात आदि जगह भेजा जाएगा। मशरूम की खेती कर रही महिलाओं को मेहनताने के तौर पर तीन हजार रुपये दिए जाएंगे। साथ में बिक्री के दौरान हुई आय में कुछ हिस्सा महिलाओं को दिया जाएगा।

कैसे होता है मशरूम का उत्पादन

मशरूम की फसल तैयार होने में 45 दिन का समय लगता है। इसके लिए लिए स्पान(बीज), भूसा, रस्सी, रसायन, प्लास्टिक बैग्स, तिरपाल, ब्लैक सीट, रबर बैंड, कील, टोकरी की जरूरत पड़ती है। स्पान को भूसे के साथ मिलाकर और प्लास्टिक के बैगों में 45 दिन के लिए खण्डहर पड़े घरों में रखा जाएगा। इस बीच फसल खराब न हो इसके लिए साफ-सफाई और देखरेख में सावधानी की जरूरत होती है।

आर्बो लैब में की गई है उत्पाद की जांच

इससे पहले संस्था ने मशरूम उत्पादन का परीक्षण किया था। फसल तैयार होने के बाद उत्पाद के निरीक्षण के लिए दिल्ली की आर्बो लैब भेजा गया था। जहां से पैदा किए गए मशरूम को सही पाया गया। जल्द ही संस्था उत्पादित मशरूम को लागों के लिए बाजार उपलब्ध कराएगी और चम्पावत में पैदा किए गए मशरूम को विदेशों तक भेजेगी। घटेगा पलायन, मिलेगा रोजगारसंस्था के प्रमुख गणेश दत्त जोशी ने बताया कि मशरूम उत्पाद में 10-10 महिलाओं के 10 समूह तैयार किए गए हैं। करीब 100 महिलाओं को रोजगार में लगाया है। मशरूम की खेती का मुख्य उद्देश्य पहाड़ों में बढ़ रहे पलायन को रोकना और महिलाओं के लिए स्वरोजगार प्रदान करना है।

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