कर्णप्रयाग में मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं लोग
कर्णप्रयाग में मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं लोग,-वाहनों के न चलने से कर्मी, दूध वाले सहित ग्रामीण...
कोविड कफ्र्यू में पुराने किराए पर आधी सवारी ले जाने के सरकार के फैसले से हड़ताल पर गए बस और टैक्सी वाहनों के न चलने से पहाड़ की यातायात व्यवसथा पूरी तरह चरमरा गई है। ऐसे में लोग मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं।
मई माह के प्रथम सप्ताह से शुरू हुए कफ्र्यू में पुराने किराए पर आधी सवारी का फरमान सरकार ने जारी किया तो बस संचालकों और टैक्सी महासंघ ने घाटे का हवाला देकर अनिश्चतकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया। हालांकि मुख्य मार्गों पर उत्तराखंड परिवहन निगम की कुछ बसें संचालित हो रही हैं। लेकिन गिनती की बस और ऊपर से अलग अलग समय होने के चलते लोगों को खासी दिक्कत उठानी पड़ रही है। उद्यान केंद्र में नौकरी करने वाले मनोज कुमार का कहना है कि कभी ट्रक मिला तो ठीक नहीं तो अक्सर लंगासू से कर्णप्रयाग तक बीस किमी पैदल आना जाना हो रहा है। यही नहीं पाडली से दूध लेकर आने वाले सोहन कुमार का कहना है कि वाहन नहीं हैं जो हैं तो दोगुना किराए लेते हैं ऐसे में दूध के पैसे किराए में दे दें तो फिर क्या होगा लिहाजा रोज 6 किमी पैदल आना जाना हो रहा है। केलापानी के बलवंत तोपाल, कनखुल के भगवान कंडवाल आदि का कहना है कि गांवों में किसी की तबीयत बिगड़ गई तो वाहन बुक करना पड़ रहा है। प्रधान संघ के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष खिलदेव रावत का कहना है कि हड़ताल से ग्रामीण यातायात पूरी तरह प्रभावित है। लोग जरूरी काम के लिए बाजारों को नहीं आ पा रहे हैं।