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भगवान की गद्दी पहुंची नृसिंह मंदिर

भगवान की गद्दी पहुंची नृसिंह मंदिर -श्री हरि अदृश्य रूप में पहुंचे नृसिंह मंदिर जोशीमठ। हमारे संवाददाता भगवान बदरीनारायण के कपाट बंद होने के बाद उनके खजांची कुबेर और सखा पांडुकेश्वर के मंदिरों मंे...

भगवान की गद्दी पहुंची नृसिंह मंदिर
-श्री हरि अदृश्य रूप में पहुंचे नृसिंह मंदिर
जोशीमठ। हमारे संवाददाता
भगवान बदरीनारायण के कपाट बंद होने के बाद उनके खजांची कुबेर और सखा पांडुकेश्वर के मंदिरों मंे...
1/ 2भगवान की गद्दी पहुंची नृसिंह मंदिर -श्री हरि अदृश्य रूप में पहुंचे नृसिंह मंदिर जोशीमठ। हमारे संवाददाता भगवान बदरीनारायण के कपाट बंद होने के बाद उनके खजांची कुबेर और सखा पांडुकेश्वर के मंदिरों मंे...
भगवान की गद्दी पहुंची नृसिंह मंदिर
-श्री हरि अदृश्य रूप में पहुंचे नृसिंह मंदिर
जोशीमठ। हमारे संवाददाता
भगवान बदरीनारायण के कपाट बंद होने के बाद उनके खजांची कुबेर और सखा पांडुकेश्वर के मंदिरों मंे...
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हिन्दुस्तान टीम,चमोलीTue, 19 Nov 2019 02:54 PM
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भगवान बदरीनारायण के कपाट बंद होने के बाद उनके खजांची कुबेर और सखा पांडुकेश्वर के मंदिरों में विराजमान हो चुके हैं वहीं आज रावल की अगुवाई में अराध्य गद्दी जोशीमठ नृसिंह मदिर पहुंच गई है। सैकडों की तादात में भक्तों ने अराध्य गद्दी का पुष्प वर्षा एवं मांगल गीत गाकर स्वागत किया। बता दें कि ग्रीष्मकाल में बदरीनाथ के कपाट खुलने के बाद श्री हरि की पूजा मानवों द्वारा की जाती है और कपाट बंद होने के बाद भगवान की पूजा देवताओं एवं गंधर्वों द्वारा की जाती है। कपाट बंद होने के बाद भगवान बदरीविशाल का विग्रह घृत कंबल में एवं साधू वेश में बदरीनाथ के ही गर्भ गृह में विराजमान रहता है लेकिन भगवान के सभी आभूषण ,वाहन गरुड़ एवं अराध्य गद्दी जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में विराजमान रहती है जिसकी लोग कपाट बंद होने के बाद दर्शन एवं पूजा अर्चना करते हैं। प्राचीन मान्यातानुसार श्री हरि अपने वाहन गरुड़ में बैठकर जोशीमठ नृसिंहमंदिर पहुंचते हैं इसलिए नृसिंह मंदिर में भी अतिप्राचीन बदरीश पंचायत विराजमान हैं, जिसकी पूजा कपाट बंदी के बाद बदरीनाथ मंदिर के सामन ही की जाती है। सोमवार की रात्री पांडुकेश्वर में प्रवास करने के बाद सुबह रावल की अगुवाई में गद्दी जोशीमठ के लिए रवाना हुई। रावल ने प्रथम प्रयाग विष्णुप्रयाग में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर इस वर्ष सफल बदरीनाथ यात्रा के लिए उनका आभार जताया। लोगों ने मारवाड़ी, कमद, लोहर बाजार आदि क्षेत्रों में डोली का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। जोशीमठ पहुंचने पर डोली को लोगों के दर्शन के लिए नृसिंह प्रांगण में रखा गया। जिसके बाद रावल ,धर्माधिकारी एवं वेदपाठियों ने अराध्य गरुड़, वासुदेव मंदिर, नवदुर्गा मंदिर, नृसिंह मंदिर, लक्ष्मी मंदिर में पूजा अर्चना की। लक्ष्मी मंदिर के प्रांगण में यात्रा के समापन पर विशेष पूजा अनुष्ठान किया गया और अंत में रावल ने धर्माधिकारी के सानिध्य में अराध्य शंकराचार्य कोठ में दर्शन कर चारधाम यात्रा के समापन की घोषणा की। बीकेटीसी के अध्यक्ष मोहन थपलियाल ने बताया कि इस वर्ष 12. 51 हजार तीर्थ यात्री बदरीनाथ पहुंचे हैं व शीतकालीन दर्शन के लिए भी बीकेटीसी विशेष व्यवस्थायें कर रही है यात्री उद्धव एवं कुबेर के दर्शन पांडुकेश्वर में कर सकते हैं कहा कि वैदिक मान्यतानुसार श्री बदरीनाथ की यात्रा नृसिंह दर्शन से ही शुरू मानी जाती है इसलिए नृसिंह जी का अपना विशेष स्थान है। इस अवसर पर बीकेटीसी के अध्यक्ष मोहन थपलियाल, सीओ बीडी सिंह, रावल ईश्वरी नंबूरी ,धर्माधिरी भुवन उनियाल, पवित्रा नंबूरी, पुष्पा सती, मनीषा सती, त्रिलोचना भट्ट, अनिल नंबूरी, प्रकाश नेगी, जेपी भट्ट आदि मौजूद रहे।

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