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ग्लोबिंग वार्मिंग को लेकर काश्तकारों के साथ हुई गोष्ठी

चमोली जिले के मंडल घाटी में उत्तराखंड सेवा निधि व नवज्योति महिला कल्याण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर काश्तकारों के साथ गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में बदलते मौसम के कारण...


ग्लोबिंग वार्मिंग को लेकर काश्तकारों के साथ हुई गोष्ठी
हिन्दुस्तान टीम,चमोलीFri, 09 Mar 2018 02:35 PM
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चमोली जिले के मंडल घाटी में उत्तराखंड सेवा निधि व नवज्योति महिला कल्याण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर काश्तकारों के साथ गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में बदलते मौसम के कारण काश्तकारों की खेती पर पड़ रहे प्रभाव पर चर्चा की गई। शुक्रवार को उत्तराखंड सेवा निधि अल्मोड़ा तथा नवज्योति महिला कल्याण संस्थान के तत्वावधान में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत दशोली विकास खंड के वणद्वारा, कठूड़, गंगोलगांव, देवलधार, खल्ला, दोगड़ी कांडई के काश्तकारों के साथ गोष्ठी का आयेाजन किया गया। गोष्ठियों में काश्तकारों न कहा कि विगत कुछ वर्षों से मौसम में आ रहे लगातार बदलाव के चलते खेती बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। गर्मी तथा बारिश की अनिश्चितता के कारण समय से बीज नहीं उग पा रहे हैं। इसलिये सरकारी तंत्र को काश्तकारों को वैज्ञानिक खेती की तकनीकों को कास्तकारों को बताना चाहिए। ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके। महिला संगठन ग्वाड़ की अध्यक्ष सुमन कुंवर ने कहा कि उनकी खेती एक तो मौसम की मार झेल ही रही है उपर से रही सही कसर जंगली जानवर खेती को नुकसान पहुंचा रहे है। जिस कारण काश्तकारों को खेती की ओर से मोह भंग होता जा रहा है। कहा कि ग्वाड़ में सबसे अधिक सब्जियों को उत्पादन किया जाता है लेकिन बंदरों सब्जियों की खेती को भी बर्बाद कर रहे हैं। रेखा देवी ने कहा कि मौसम के हिसाब से  काश्तकारों को विभाग को बीज उपलबध कराया जाना चाहिये। संस्था के सचिव एमएस बिष्ट ने कहा कि राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत गावों मे जाकर पौराणिक खेती तथा जैविक खेती के लिये काश्तकारों को प्रेरित किया जा रहा है। इसके साथ ही पौलीहाउसों के निर्माण के चलते बेमौसमी सब्जी के उत्पादन को बढ़ावा दिये जाने का प्रयास किया जा रहा है। संस्था की समन्वयक सिद्वि नेगी व मनीष बिष्ट ने कहा कि काश्तकार खेती तो करना चाहता है लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है। इसलिये काश्तकारों को समय-समय पर खेती के उत्पादन संबंधी तथा रोगों के बारे में जानकारी दिये जाने की जरूरत है। गोष्ठी में शांति देवी, राजेश्वरी देवी, शोभा देवी, कमला देवी, जशोदा देवी, दयाली लाल, जसपाल सिंह, रामेश्वरी देवी, रंजना देवी, रमा देवी आदि ने विचार रखे। 

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