हल्द्वानी मेयर पद गजराज सिंह बिष्ट का दावा खारिज नहीं कर पाई BJP, आखिर क्या वजह?
- भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी की ओर से जारी दूसरी सूची में देहरादून से सौरभ थपलियाल, ऋषिकेश से शंभू पासवान, रुड़की से अनीता अग्रवाल, हल्द्वानी से गजराज बिष्ट और काशीपुर से दीपक बाली को प्रत्याशी बनाया है।

उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव के क्रम में भाजपा ने 11 नगर निगमों में मेयर पद पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। उधर, कांग्रेस ने भी पांच और निगमों में मेयर पद के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया।
उत्तराखंड क्रांति दल, आम आदमी पार्टी समेत अन्य सियासी दलों ने नगर पालिका व नगर पंचायतों में पार्षद-सभासद पद के लिए भी प्रत्याशियों की घोषणा की। भाजपा ने मेयर पद के लिए पहली सूची में छह नगर निगमों और दूसरी सूची में पांच नगर निगमों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी की ओर से जारी दूसरी सूची में देहरादून से सौरभ थपलियाल, ऋषिकेश से शंभू पासवान, रुड़की से अनीता अग्रवाल, हल्द्वानी से गजराज बिष्ट और काशीपुर से दीपक बाली को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस से ऋषिकेश से दीपक जाटव, हरिद्वार से अमरेश वालियान और रुड़की में पूजा गुप्ता, रुद्रपुर में मोहन खेड़ा और अल्मोड़ा में भैरव गोस्वामी उम्मीदवार होंगे। सं
गजराज का दावा खारिज नहीं कर पाई भाजपा
भाजपा में नगर निगम हल्द्वानी काठगोदाम से मेयर पद पर दावेदारी कर रहे गजराज सिंह बिष्ट का दावा आखिर पार्टी खारिज नहीं कर पाई। लंबे मंथन के बाद पार्टी को उन्हें ही टिकट देना पड़ा। अब गजराज के सामने सबसे बड़ी चुनौती मेयर की दावेदारी कर रहे पार्टी के अन्य नेताओं और उनके समर्थकों को साथ लेकर अपने लक्ष्य को साधने की होगी।
निकाय चुनाव की घोषणा से पूर्व निकायों की अनंतिम आरक्षण सूची में नगर निगम हल्द्वानी की मेयर सीट को ओबीसी घोषित कर दिया गया था। शुरू में निकाय चुनाव पर कुछ भी कहने से बच रहे गजराज ने अचानक ओबीसी घोषित हुई सीट से मेयर पद पर दावेदारी कर सबको चौंका दिया था। सूत्रों का कहना है कि कार्यकर्ताओं के साथ कई लोगों को पहली बार पता चला कि गजराज ओबीसी में आते हैं।
उनके मेयर पद पर दावेदारी करते ही भाजपा ही नहीं कांग्रेस में भी उनके कद का कोई ओबीसी लीडर नहीं दिख रहा था। यह माना जा रहा था कि गजराज के टिकट को कोई नहीं रोक पाएगा। बाद में शासन ने हल्द्वानी मेयर की सीट को अनारक्षित यानी सामान्य वर्ग के लिए कर दिया। इसके बाद मेयर सीट के लिए पार्टी के निवर्तमान मेयर डॉ. जोगिंदर सिंह रौतेला समेत कई मजे हुए दिग्गज नेताओं ने अपनी देवदारी पेश कर दी।
यह माना जा रहा था कि ओबीसी सीट से दावेदारी जता चुके गजराज सीट के सामान्य होने पर अपनी दावेदारी वापस ले लेंगे। लेकिन लोगों के अनुमान को गलत साबित करते हुए गजराज ने अपनी दावेदारी को न केवल मजबूती से पेश किया बल्कि टिकट पाने के लिए देहरादून में डेरा डाल दिया।
इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी के लिए अपने 37 साल के समर्पण का हवाला दिया। इधर कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी घोषित होने के बाद यह माना जा रहा था कि भाजपा हल्द्वानी सीट पर दो बार से मेयर रहे मधुर स्वभाव के डॉ. जोगिंदर रौतेला को टिकट देगी। लेकिन अंतिम समय में गजराज की काबिलियत को स्वीकारते हुए पार्टी ने रविवार रात 9 बजे उनके नाम पर मोहर लगा दी।
गजराज को टिकट देना था तो आरक्षण क्यों बदला
सरकार ने हल्द्वानी नगर निगम की सीट को पहले ओबीसी घोषित किया। भाजपा से मेयर पद के लिए गजराज सबसे बड़ा चेहरा उभर कर आए। फिर सरकार ने मेयर की सीट को सामान्य कर दिया। इसके बाद मेयर का टिकट मांगने वालों की लाइन लंबी हो गई। सभी दिग्गज अपने-अपने तरीके से पार्टी से मेयर की टिकट की डिमांड करने लगे। इधर पार्टी ने अंत में टिकट गजराज सिंह बिष्ट को थमा दिया। ऐसे में यह सवाल आमजन व भाजपा कार्यकर्ताओं की जुबान पर है कि जब गजराज को ही टिकट देने का लक्ष्य था तो सीट का आरक्षण बदलने की जरूरत क्या थी।
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