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आपदा ने खोली प्रशासन की पोल

अक्टूबर में आई आपदा ने ग्लेशियरों का नजारा देखने गए पांच पर्यटकों की जान ले ली। कई पर्यटक आधी यात्रा छोड़कर वापस जाने को मजबूर हो...

आपदा ने खोली प्रशासन की पोल
हिन्दुस्तान टीम,बागेश्वरTue, 26 Oct 2021 04:10 PM
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अक्टूबर में आई आपदा ने ग्लेशियरों का नजारा देखने गए पांच पर्यटकों की जान ले ली। कई पर्यटक आधी यात्रा छोड़कर वापस जाने को मजबूर हो गए। आफत की बारिश ने जिला प्रशासन की भी कलाई भी खोलकर रख दी। रेस्क्यू कार्य चलने के बाद भी प्रशासन को ग्लेशियों में फंसे लोगों की सही जानकारी तक नहीं थी। पिंडारी, कफनी और सुंदरढूंगा जाने के लिए वन विभाग में पंजीकरण कराना जरूरी है, लेकिन इस बार ग्लेशियर में करीब 80 लोग पहुंच गए। उनका पंजीकरण तो दूर की बात उनके जाने की भनक तक नहीं लग पाई। कोलकाता से फोन आने के बाद प्रशासन हरकत में आया।

मालूम हो कि जिले में पिंडारी, कफनी और सुंदरढूंगा ग्लेशियर हैं। इन ग्लेशियरों को देखने के लिए देश तथा विदेश से यात्री आते हैं। गत वर्ष कोरोना के चलते लोग यहां नहीं आ पाए। इस बार एक अक्टूबर से यात्रा शुरू हुई। 17 को बारिश और बर्फबारी हो गई। इस बीच कितने पर्यटक ग्लेशियर पहुंचे इसकी जानकारी किसी को भी नहीं थी। पिंडारी ग्लेशियर जाने वाले लोगों का वन विभाग कपकोट में पंजीकरण होना जरूरी होता है। इसका डाटा महीने में एक बार पर्यटन विभाग को भेजा जाता है। पर्यटन विभाग इसी डाटा के आधार पर साल भर जिले में आने वाले सैलानियों का आंकड़ा जारी करता है। वन विभाग ईको गेट पर पर्ची काटकर शुल्क भी लेता है। इसकी जांच ग्लेशियर रेंज में कराने के बाद पर्यटक ग्लेशियर की सैर को जा सकते हैं। पंजीकरण के आधार पर प्रशासन को पिंडारी, कपनी व सुंदरढूंगा आदि स्थानों पर गए पर्यटकों की सटीक जानकारी रहती है। इतनी सरल प्रक्रिया के बाद भी वन विभाग गंभीर नहीं है। जिसका परिणाम इस बार आई आपदा में देखने को मिला। प्रशासन को यह तक पता नहीं था कि द्वाली में कितने लोग फंसे हैं। वहां 34 की जानकारी मिल रही थी, जब रेस्क्यू चला तो देशी तथा विदेशी समेत 42 पर्यटक मिले। पोल खोलने के लिए यह आंकड़े काफी हैं।

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