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बिलेख गांव के बच्चे जान जोखिम में डालकर करते हैं गधेरे पार

बिलेख गांव के लोग जान जोखिम में डालकर गधेरे पार कर रहे हैं। बर्षाती गधेरे उफन गए तो गांव का संपर्क भी पूरी तरह कट जाता है। गांव के लोग करीब 14 डरवाने गधेरे पार कर सड़क तक पहुंचते...

बिलेख गांव के लोग जान जोखिम में डालकर गधेरे पार कर रहे हैं। बर्षाती गधेरे उफन गए तो गांव का संपर्क भी पूरी तरह कट जाता है। गांव के लोग करीब 14 डरवाने गधेरे पार कर सड़क तक पहुंचते...
1/ 2बिलेख गांव के लोग जान जोखिम में डालकर गधेरे पार कर रहे हैं। बर्षाती गधेरे उफन गए तो गांव का संपर्क भी पूरी तरह कट जाता है। गांव के लोग करीब 14 डरवाने गधेरे पार कर सड़क तक पहुंचते...
बिलेख गांव के लोग जान जोखिम में डालकर गधेरे पार कर रहे हैं। बर्षाती गधेरे उफन गए तो गांव का संपर्क भी पूरी तरह कट जाता है। गांव के लोग करीब 14 डरवाने गधेरे पार कर सड़क तक पहुंचते...
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हिन्दुस्तान टीम,बागेश्वरFri, 17 Aug 2018 04:44 PM
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बिलेख गांव के लोग जान जोखिम में डालकर गधेरे पार कर रहे हैं। बरसाती गधेरे उफनये तो गांव का संपर्क भी पूरी तरह कट जाता है। गांव के लोग करीब 14 डरवाने गधेरे पार कर सड़क तक पहुंचते हैं। रवांईखाल क्षेत्र का बिलेख गांव सड़क से करीब पांच किमी दूर है।

बारिश में यहां जाना सबके बस में नहीं रहता है। गांव तक पहुंचने के लिए 14 गधेरे पड़ते हैं। लोग गधेरों को पार करने के लिए चीड़ के डंडे लगाकर जान जोखिम में डालते हैं। गांव के संजय कुमार ने बताया कि गधेरे बारिश होते ही उफना जाते हैं। गांव के 35 बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं। गांव में प्राथमिक विद्यालय है। वहां जाने के लिए भी गधेरा पार करना होता है। जबकि इंटर और डिग्री कॉलेज के लिए रवांईखाल सड़क तक पहुंचना होता है। उन्होंने कहा कि इसबीच गधेरे उफने हुए हैं। गांव के लोग और बच्चे रोज जान जोखिम डाल कर गधेरों को आर-पार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चा सुबह स्कूल निकलता है। माता-पिता उसके घर पहुंचने तक भयभीत रहते हैं।बीमार हो गए तो मुसीबतगांव में यदि कोई व्यक्ति बीमार हो गया या फिर प्रसव पीड़िता को सड़क तक ले जाना हो तो लोग परेशान हो जाते हैं। पांच किमी पैदल चलकर लोगों को सड़क तक पहुंचना होता है। डोली में बीमार व्यक्ति को गधेरों से पार कर जैसे-तैसे अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। ग्रामीणों के अनुसार कई लोग अस्पताल जाने से पहले दम भी तोड़ गए हैं। सड़क नहीं होने से पलायनगांव में सड़क नहीं होने से करीब सौ परिवार पलायन कर चुके हैं। हल्द्वानी, दिल्ली, बागेश्वर, रवांईखाल में बस गए हैं। गांव की जनसंख्या 250 है।

ग्रामीणों ने बनाया आंदोलन का मन

ग्रामीण प्रेम राम, पार्वती देवी, गीता देवी, जानकी देवी, सरस्वती देवी, संजय कुमार आदि ने कहा कि अब सड़क के लिए आर-पार की जंग करेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी ग्राम पंचायत पांच किमी दूर थकलाड़ है। यह गांव सड़क पर बसा हुआ है।

बिलेख गांव के लिए सड़क का प्रस्ताव कई बार भेजा गया। लेकिन स्वीकृति नहीं मिल रही है। ग्रामीणों के आंदोलन में भरपूर सहयोग होगा।

-बहादुर सिंह रावत, प्रधान।

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