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शिल्पकार समाज के पुरोध जीत राम जिज्ञासु का निधन

जीत राम जिज्ञासु का निधन हो गया है। वे 95 साल के थे। वे 25 साल तक गांव के निर्विरोध ग्राम प्रधान रहे। गांव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति का निधन होने पर स्यूनेबाड़ी गांव शोक में डूब गया है। उनका सरयू और...

शिल्पकार समाज के पुरोध जीत राम जिज्ञासु का निधन
हिन्दुस्तान टीम,बागेश्वरMon, 19 Feb 2018 06:12 PM
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जीत राम जिज्ञासु का निधन हो गया है। वे 95 साल के थे। वे 25 साल तक गांव के निर्विरोध ग्राम प्रधान रहे। गांव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति का निधन होने पर स्यूनेबाड़ी गांव शोक में डूब गया है। उनका सरयू और गोमती संगम पर अंतिम संस्कार किया गया।

जिज्ञासु जीत राम मेडिकल कोर में सैनिक शिक्षक के रूप में कार्य किया। सेवा के दौरान ही 1956 में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के आगरा सम्मेलन में शामिल होने गए। तभी से बाबा साहब के अनन्य भक्त हो गए। सेवानिवृत्ति के बाद वे बाबा साहेब के विचारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए कुमाऊं-गढ़वाल के सभी क्षेत्रों का भ्रमण करते रहे। शिल्पकारों में चेतना पैदा करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 29 दिसंबर 1963 में पर्वतीय शिल्पकार संघ की स्थापना की। इस संगठन के बैनर तले शिल्पकार समाज में व्याप्त बुराइयां, अंध विश्वास को दूर करने के लिए पर्वतीय क्षेत्र के सभी जिलों में संगोष्ठियां कर लोगों को संगठित भी करते रहे। जीत राम अपने गांव भैरुचबट्टा में 25 सालों तक निर्विरोध ग्राम प्रधान रहे। वे सैदव समाज की उन्नति की बात करते रहे। उन्हें लोग कुमाऊं के अंबेडकर के नाम से भी संबोधित करते थे। उनकी चिता को मुखाग्नि उनके पुत्रगण पूरन चंद्र और रमेश चंद्र ने दी। उनकी अंतिम यात्रा में उनके परिवार, गांव के अलावा बसपा के प्रदेश महासचिव बीआर धौनी, पूर्व प्रदेश सचिव रमेश प्रकाश पर्वतीय, पदीराम धौनी, डॉ. एनआर आर्य, जिज्ञासु के भतीजे एसीएफ प्रकाश चंद्र आर्य, राम प्रसाद आगरी, किशन सिंह मलड़ा समेत तमाम लोग मौजूद थे। इधर बसपा के प्रदेश महासिचव बीआर धौनी ने कहा कि जिज्ञासु के चले जाने से शिल्पकार समाज को अपूर्णीय क्षति पहुंची है। वे शिल्पकारों के मार्गदर्शक रहे।

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