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पितृविसर्जन अमावस्या पर हुए तर्पण व श्राद्ध

पार्वण श्राद्ध के अंतिम दिन सरयू तट पर पिंडदान को लोग उमड़े। उन्होंने पितृविसर्जन अमावस्या पर अपने पितरों को याद किया। सभी ज्ञात व अज्ञात पितरों की आत्म शांति के लिए श्राद्ध किया। पंडितों को दान देकर...

पितृविसर्जन अमावस्या पर हुए तर्पण व श्राद्ध
हिन्दुस्तान टीम,बागेश्वरSat, 28 Sep 2019 02:18 PM
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पार्वण श्राद्ध के अंतिम दिन सरयू तट पर पिंडदान को लोग उमड़े। उन्होंने पितृविसर्जन अमावस्या पर अपने पितरों को याद किया। सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों की आत्म शांति के लिए श्राद्ध किया। पंडितों को दान देकर पुण्य अर्जन किया। आश्विन कृष्ण पक्ष के सोलह दिनों के काल पार्वण काल होता है। इन दिनों हिंदू धर्म के मानने वाले लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक याद करते हैं। उन्हें पिंडदान के रुप में भोजन दिया जाता है। तर्पण व श्राद्ध कर उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है। सोलह दिनों के इस समय में लोग अपने मृत माता-पिता सहित अन्य पितरों को याद करते हैं। सोलहवें और आखिरी दिन पितृविसर्जन अमावस्या पड़ती है। पंडित प्रकाश कांडपाल ने बताया कि इस दिन सभी ज्ञात व अज्ञात पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान व श्राद्ध किया जाता है। इस दिन लोग अपने पितरों की पूजा के साथ उन सभी के लिए भी पिंडदान कर सकते हैं, जिनका श्राद्ध करने वाला कोई न हो। उन्होंने बताया कि मां सरयू को गंगा के समान पावन माना गया है। यहां पर श्राद्ध व पिंडदान करने उत्तम माना गया है। जिसके चलते यहां पर श्राद्ध कराने के लिए अधिक लोग उमड़ते हैं।

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