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सावन के तीसरे सोमवार को बागनाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धा

सावन के तीसरे सोमवार को बागनाथ मंदिर में श्रद्धा उमड़ी। सरयू और गोमती संगम पर श्रद्धालुओं ने स्नान किया। बागनाथ को 108 लोटे जल चढ़ाया। पंडितों ने लोगों को स्कंद पुराण में वर्णित बागेश्वर की महिमा के...

सावन के तीसरे सोमवार को बागनाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धा
हिन्दुस्तान टीम,बागेश्वरMon, 30 Jul 2018 08:33 PM
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सावन के तीसरे सोमवार को बागनाथ मंदिर में श्रद्धालु उमड़े। सरयू और गोमती संगम पर श्रद्धालुओं ने स्नान किया। बागनाथ को 108 लोटे जल चढ़ाया। पंडितों ने लोगों को स्कंद पुराण में वर्णित बागेश्वर की महिमा के बारे में बताया। सावन के तीसरे सोमवार को बागनाथ मंदिर में खासी भीड़ रही। लोगों ने स्नान कर शिव को जल चढ़ाया। पंडित डॉ. गोपाल कृष्ण जोशी ने स्कंद पुराण में वर्णित बागीश्वर माहात्म्य की जानकारी दी। उन्होने बताय कि स्कंद पुराण के अनुसार सरयू-गोमती नदियों के मध्य बाणसुर का नीलपर्वत है। इसी पर्वत की तलहटी में सूर्यकुंड और अग्निकुंड के मध्यम शिवभूमि तीर्थराज कहलाती है। भगवान शंकर ने अपने गण चंडीश को आदेश दिया कि हिमालय क्षेत्र में उसी व वरुण के मध्य स्थित काशी की तरह ही गोमती व सरयू के मध्य दिव्यपुरी का निर्माण किया। चंडीश ने नीलपर्वत में पहुंचकर दिव्यपुरी का निर्माण किया। प्रसन्न होकर पार्वती और भगवान शंकर ने यहां निवास किया। पार्वती समेत शंकर को इस स्थान पर देख दिव्यवाणी से शिव स्तुति की गई। इसलिए शिव वागीश्वर कहलाएं।

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