हाईकोर्ट के आदेश के बाद खड़िया खनन बंद
जिले में आपदा को दावत के साथ रोजगार देने वाला खड़िया उद्योग बंद रहा। यहां काम करने वाले मजदूर दिन भर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। खानों में दिनभर सन्नाटा
बागेश्वर, संवाददाता। जिले में खडि़या खनन बंद होने से फौरी तौर पर आपदा से तो राहत मिल गई है। लेकिन श्रमिकों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से यहां काम करने वाले मजदूर दिनभर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। खानों में दिनभर सन्नाटा पसरा रहा। जेसीबी और पॉकलैंड मशीन शोपीस बने रहे। कारोबार बंद होने से एक दिन में करोड़ों का कारोबार ठप रहा। दूसरे देशों तथा प्रदेशों से आए मजदूर अपने भविष्य को लेकर चिंतित दिखने लगे। सोमवार को हाईकोर्ट ने जिले में खड़िया खनन पर रोक लगाने के आदेश दिए थे। आदालत के फैसले का असर जिले में मंगलवार को दिखने लगा। यहां एक भी खड़िया खान में काम नहीं हुआ। जिले में 168 खड़िया खानें स्वीकृत हैं, इसमें से 50 में खनन कार्य वर्तमान में चल रहा था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में जिले ने खड़िया ने 27 करोड़ का राजस्व प्रदेश सरकार को दिया। इसके अलावा करीब 20 हजार लोग सीधे तौर पर इस कारोबार से जुड़े हैं। इसके अलावा ट्रक चालक, जेसीबी, पॉकलैंड मशीन के अलावा पट्टाधारक भी इस उद्योग से जुड़े हैं। जिन खान संचालकों ने 25-25 साल के लिए लीज पर जमीन ले रखी है वह भी परेशान दिखे। दुग-नाकुरी, कांडा आदि क्षेत्र में सबसे अधिक खड़िया की खानें हैं। मंगलवार को इन सभी स्थानों की पड़ताल आपके अपने समाचार पत्र हिन्दुस्तान ने की, लेकिन सभी खानों में खनन कार्य ठप रहा। जिन खानों में सुबह पांच बजे से मशीनों की आवाज गूंजने लगती थी वहां दिनभर पंछी भी नहीं दिखा। खानों में काम करने वाले मजदूर अपने-अपने कमरों में सोए रहे। खनन कार्य बंद होने से हजारों लीटर डीजल की खपत नहीं हुई। एक ही दिन में करोड़ों का कारोबार प्रभावित रहा। इधर डीएम आशीष भटगांई ने बताया हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिले में खनन कार्य बंद करने के आदेश सोमवार की शाम से ही कर दिए हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।