शक्ति की उपासना और अनुष्ठान का पर्व हैं शारदीय नवरात्र: डा. जोशी
आश्विन शुक्लपक्ष में प्रतिपदा से विजयादशमी तक शारदीय नवरात्र होते हैं। यह पर्व शक्ति की महिमा को प्रदर्शित करते हैं। जिसमें देवी के नौ रुपों की उपासना की जाती है। भगवान राम ने सर्वप्रथम शारदीय...
आश्विन शुक्लपक्ष में प्रतिपदा से विजयादशमी तक शारदीय नवरात्र होते हैं। यह पर्व शक्ति की महिमा को प्रदर्शित करते हैं। इसमें देवी के नौ रूपों की उपासना की जाती है। भगवान राम ने सर्वप्रथम शारदीय नवरात्र में देवी की पूजा की थी। इन्हीं नवरात्र में रामलीला मंचन का भी आयोजन होता है।
प्रवक्ता डा. गोपाल कृष्ण जोशी ने बताया कि शारदीय नवरात्र में प्रथम शैलपुत्री से नवम सिद्धिदात्री देवी की पूजा होती है। दसवें दिन विजया देवी की पूजा का विधान है। इसलिए इसे विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। नवरात्र शब्द संख्यावाचक नहीं अपितु कर्मवाचक है। इसमें तिथियों की वृद्धि या कमी होने पर दोष नहीं माना जाता। शास्त्रों के अनुसार नौ शक्तियों से ही संसार संचालित होता है। इसीलिए नवरात्र में नौ रूपों में शक्ति की उपासना का महत्व बताया गया है। नवशक्तिसमायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते। नवरात्र या नवपूजन रहस्यमय व विचारणीय बिंदु है। नौ दिनों तक भूखे रहना ही उपासना नहीं है, शरीर में व्याप्त अशुद्धियों को दूर करना जरूरी है। मानव शरीर में नौ छिद्र होते हैं। इनमें नौ प्रकार की अशुद्धियां मानी जाती हैं। इन्हीं दोषों के निवारण के लिए माता जगतजननी के नौ रूपों की उपासना कर उसे प्रसन्न किया जाता है।
स्नान से आत्मनिवेदन तक होती है भक्ति
नवरात्र में स्नान से बाह्य तथा भजन से आंतरिक शुद्धि होती है। श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, संख्य तथा आत्मनिवेदन इन नौ प्रकार की भक्ति और उपासना से आंतरिक शुद्धि के लिए किये जाने वाला दिव्य कर्म ही नवरात्र व्रत कहलाता है। नौ का अंक पूर्णता का द्योतक है। नौ दिन तक पूर्ण व्रत पालन करने से साधक मां जगदंबा की कृपा प्राप्त कर लेता है। इससे धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष चारों फल प्राप्त होते हैं।
वैज्ञानिक आधार भी है नवरात्र का
शरद ऋतु के आगमन पर जलवायु परिवर्तन के कारण बीमारियां भी बढ़ती हैं। इससे डाक्टर संतुलित आहार लेने का सुझाव देते हैं। नवरात्र में संयमित आहार ग्रहण करना तथा उपवास करने से बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
शक्ति के बिना संसार की कल्पना असंभव है। नवरात्र में पूर्ण भक्ति भाव से शक्ति की उपासना करने से मनुष्य की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
डा. गोपाल कृष्ण जोशी, प्रवक्ता इंटर कालेज क्वैराली