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तीन सिंचाई नहरें होने के बाद किसानों को नहीं मिल रहा पानी

नगर के मंडलसेरा वार्ड में तीन सिंचाई नहरों के बावजूद किसानों को पानी नहीं मिल रहा है। विभाग की अनदेखी से नहरें सूख गई हैं। मायूस किसान बुवाई के लिए बारिश की बाट जोह रहे हैं। उन्होंने सालों से बंद पड़ी...

तीन सिंचाई नहरें होने के बाद किसानों को नहीं मिल रहा पानी
हिन्दुस्तान टीम,बागेश्वरThu, 06 Jun 2019 06:21 PM
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जिला मुख्यालय से सटे मंडलसेरा वार्ड में तीन सिंचाई नहरों के बावजूद किसानों को पानी नहीं मिल रहा है। विभाग की अनदेखी से नहरें सूख गई हैं। मायूस किसान बुवाई के लिए बारिश की बाट जोह रहे हैं। उन्होंने सालों से बंद पड़ी नहरों को चालू करवाने की मांग की है।

मंडलसेरा 13 तोकों में बंटा वार्ड है। परिसीमन से पूर्व तक यह ग्राम पंचायत का हिस्सा था। जो जिले की सबसे बड़ी ग्राम सभाओं में एक थी। यहां के मूल निवासी खेतीबाड़ी कर जीवन यापन करते हैं। शहरीकरण से पूर्व यहां 17 हेक्टेयर भूमि पर खेती की जाती थी। जिसमें सिंचाई के लिए तीन नहरों का निर्माण किया गया था। मुख्य नहर तुपेड़ के भाटनीकोट से बनी है। जिसकी लंबाई 11 किमी है। कुछ साल पहले तक नहर में बराबर पानी आता था, लेकिन आपदा के समय छह किमी के बाद नहर ध्वस्त हो गई। जिसे आज तक विभाग सही नहीं करा पाया है। गांव में सिगड़ी गधेरे से भी दो छोटी नहरों का निर्माण किया गया है। दो-दो किमी लंबी इन नहरों का हाल भी बुरा है। नहरों में पानी की बूंद नहीं है। बुवाई के लिए लोग इंद्रदेव की मेहरबानी पर निर्भर हैं। ग्रामीण किशन मलड़ा, राजेंद्र मलड़ा, शंकर गिरी गोस्वामी, किशन गिरी गोस्वामी, जोगा सिंह आदि ने बताया कि पहले ही शहरीकरण के चलते खेतीबाड़ी सिमट चुकी है। अब सिंचाई की सुविधा नहीं होने से फसल उत्पादन पर असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कई बार विभाग से मांग की गई, लेकिन नहरों की सुध नहीं ली जा रही है। जिससे बची-खुची खेती पर भी संकट मंडरा रहा है।

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अतिक्रमण से भी हो रही परेशानी

बागेश्वर। वृक्ष प्रेमी किशन सिंह मलड़ा ने कहा कि मंडलसेरा में अंधाधुंध तरीके से भवन निर्माण हुए हैं। जिससे नहर और रास्ते अतिक्रमण की चपेट में आ गए। उन्होंने बताया कि कई स्थान पर नहरों का पता ही नहीं चल रहा है। जिसके चलते विभाग भी नहरों की मरम्मत में दिलचस्पी नहीं ले रहा है। जिससे यहां के मूल निवासियों और खेतीबाड़ी करने वालों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इससे खेती पर भी संकट मंडरा रहा है।

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